बिजनेस रेमेडीज़/नई दिल्ली/आईएएनएस। भारत के हाउसिंग सेक्टर का जीडीपी में योगदान बढक़र 2025 तक 13 प्रतिशत होने की उम्मीद है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई।
जेएलएल की रिपोर्ट में बताया गया कि 2030 तक रियल एस्टेट सेक्टर बढक़र एक ट्रिलियन डॉलर की मार्केट बन सकता है। यह सेक्टर डेमोग्राफिक शिफ्ट, पॉलिसी रिफॉर्म और ग्लोबल ट्रेंड से प्रभावित होगा।
टियर 2 और 3 शहर प्रमुख विकास केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। जयपुर, इंदौर और कोच्चि जैसे छोटे शहरी केंद्रों का 2025 तक नए आवासों में योगदान 40 प्रतिशत होगा।
शहरी घर स्वामित्व दर 2025 तक बढक़र 72 प्रतिशत हो सकती है, जो कि 2020 में 65 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि मिलेनियल्स और जेन जेड खरीदारों की संख्या 2030 तक 60 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, सस्टेनेबिलिटी को पहले एक लग्जरी माना जाता था। ग्रीन-सर्टिफाइड बिल्डिंग्स की संख्या 2025 तक बढक़र 30 प्रतिशत होने की उम्मीद है। 2020 में यह संख्या 15 प्रतिशत थी।
एलईईडी (लीडरशीप इन एनर्जी एंड एनवायरमेंट डिजाइन) जैसे ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन अधिक आम होते जा रहे हैं क्योंकि रियल एस्टेट उद्योग सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दे रहा है।
2024 के दौरान बेची गई रेजिडेंशियल यूनिट्स की संख्या 2023 की कुल बिक्री की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक थी।
मिश्रित उपयोग वाले विकास तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जो लिव-वर्क-प्ले वातावरण बनाने की दिशा में जा रहे वैश्विक ट्रेंड को दिखाता है।
रिपोर्ट में बताया गया है, इस तरह का विकास एक ही परियोजना के भीतर आवासीय, वाणिज्यिक और मनोरंजक स्थानों को जोड़ते हैं, जिससे निवासियों को पैदल दूरी के भीतर उनकी जरूरत की हर चीज मिलने की सुविधा मिलती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्ट घरों और तकनीक-एकीकृत रहने की जगहों की मांग भी आसमान छू रही है।
देश की अर्थव्यवस्था में हाउसिंग सेक्टर का बढ़ेगा योगदान, छोटे शहर बन रहे नए ग्रोथ हब
जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक रियल एस्टेट सेक्टर बढक़र एक ट्रिलियन डॉलर की मार्केट बन सकता है
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