आज देशभर में नशीली दवाओं का प्रचलन दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। इनमें हर वर्ग के युवा शामिल हैं। कॉलेज के बाहर पान की दुकान पर नशीली दवाएं रात-दिन बिकती हैं। हर युवा को पता है कि उनके शहर में कहां-कहां नशीली दवाएं बिकती हैं? आए दिन देश में ऐसी अनेक खबरें आती रहती हैं कि करोड़ों के मूल्य के नशीले पदार्थ पकड़े जाते हैं। इन पकड़ी गई ड्रग्स की मात्रा इतनी ज्यादा होती है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये ड्रग्स देशभर में वितरण के लिए ही आई हैं। पर ये कारोबार बिना रोक-टोक जारी है। जबकि सिंगापुर में ड्रग्स के विरुद्ध इतना सख्त कानून है कि वहां ड्रग्स को छूने से भी ये लोग डरते हैं। क्योंकि पकड़े जाने पर सजा-ए-मौत मिलती है, बचने का कोई रास्ता नहीं। जानकारी के अनुसार दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, राजस्थान, भोपाल, अमृतसर और चेन्नई, यूपी के हापुड़, गुजरात के अंकलेश्वर तक ड्रग्स तस्करों का नेटवर्क का भांडाफोड़ हुआ है। वहीं दूसरी तरफ दुनियाभर में दादागिरी दिखाने वाला अमरीका जो ख़ुद को बहुत ताकतवर मानता है, वहां ड्रग्स का खूब प्रचलन है। जाहिर है ड्रग माफिया की पकड़ बहुत ऊंची है। यही हाल दुनिया के तमाम दूसरे देशों का है, जहां इस कार्टल के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को दबा दिया जाता है या खत्म कर दिया जाता है। चाहे वो व्यक्ति न्यायपालिका या सरकार के बड़े पद पर ही क्यों न हो। सब जानते हैं कि इन नशीली दवाओं के सेवन से लाखों घर तबाह हो जाते है। औरतें विधवा और बच्चे अनाथ हो जाते हैं। बड़े-बड़े घर के चिराग बुझ जाते हैं। पर कोई सरकार चाहे केंद्र की हो या प्रांतों की इसके खिलाफ कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाती। सनातन धर्म के बड़े तीर्थ श्री जगन्नाथ पुरी हो या पश्चिमी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र गोवा, हिमाचल प्रदेश के पर्यटक स्थल कुल्लू, मनाली हो या धर्मशाला, भोलेनाथ की नगरी काशी हो या केरल का प्रसिद्ध समुद्र तटीय नगर त्रिवेंद्रम, राजधानी दिल्ली का पहाडग़ंज इलाका हो या मुंबई के फार्म हाउसों में होने वाली रेव पार्टियां हर ओर मादक दवाओं का प्रचलन खुलेआम हो रहा है। आज से नहीं दशकों से। हर आम और खास को पता है कि ये दवाएं कहां बिकती हैं, तो क्या स्थानीय पुलिस और नेताओं को नहीं पता होगा। फिर ये सब कारोबार कैसे चल रहा है? जिसमें करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे होते हैं। नशीली दवाओं में प्रमुख रूप से अफीम, पोस्त और इनसे बनने वाली मॉर्फिन, कोडीन, हेरोइन या सिंथेटिक विकल्प मेपरिडीन, मेथाडोन है। ये सब बंद हो सकता है अगर केंद्रीय और प्रांतीय सरकारें अपने कानून कड़े बनाएं और उन्हें सख्ती से लागू करें।
