Wednesday, October 16, 2024 |
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Union Bank of India PCAF पर हस्ताक्षर करने वाला प्रथम प्रमुख भारतीय बैंक

by Business Remedies
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Union Bank of India  द्वारा पार्टनर्शिप फॉर कार्बन अकाउंटिंग फाइनेंशियल्स (पीसीएएफ़) पर हस्ताक्षरकर्ता बनने का निर्णय लिया गया है. यह निर्णय वैश्विक स्तर पर जलवायु जोखिम प्रबंधन पर बढ़ती जागरूकता और हाल ही में जलवायु जोखिम प्रकटीकरण पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी मसौदा दिशानिर्देश के साथ संरेखित है.

PCAF वित्तीय संस्थानों की एक वैश्विक साझेदारी है जो ऋण और निवेश से जुड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का आकलन और प्रकटीकरण करने के लिए एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करने और लागू करने के लिए काम कर रही है. पीसीएएफ़ में शामिल होकर, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अपने वित्तपोषित उत्सर्जन को मापने और प्रबंधित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है, जो बैंकों के लिए जलवायु जोखिम प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू है.

वित्तपोषित उत्सर्जन, जिसे स्कोप 3 उत्सर्जन के रूप में संदर्भित किया जाता है, अप्रत्यक्ष उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करता है जो बैंक की ऋण देने और निवेश गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है. ऐसे उत्सर्जन बैंक के परिचालन उत्सर्जन से काफी अधिक हो सकते हैं और जलवायु परिवर्तन और बदलते नियमों के साथ इसके पोर्टफोलियो के लिए पर्याप्त जोखिम बन सकते हैं.

वित्तपोषित उत्सर्जन को ट्रैक करने के महत्व को आरबीआई के हाल ही में 28 फरवरी, 2024 को जारी ‘जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिमों पर प्रकटीकरण रूपरेखा, 2024’ पर मसौदा दिशानिर्देशों द्वारा रेखांकित किया गया है. रूपरेखा विनियमित संस्थाओं को चार प्रमुख क्षेत्रों पर जानकारी का प्रकटीकरण करने के लिए बाध्य करती है: गवर्नेंस, कार्यनीति, जोखिम प्रबंधन और मेट्रिक तथा लक्ष्य. आरबीआई के मसौदा दिशा-निर्देश भारतीय बैंकों के लिए अधिक कठोर जलवायु जोखिम रिपोर्टिंग की ओर बदलाव के सांकेतिक हैं. पीसीएएफ हस्ताक्षरकर्ता बनने में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की सक्रिय भूमिका इन आगामी विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगी.

उद्योग पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि यह निर्णय भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में जलवायु जोखिम प्रबंधन के मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया अग्रणी है. बैंक द्वारा पीसीएएफ की कार्यप्रणाली को अपनाने से वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने और कार्यनीति विकसित करने की इसकी क्षमता में वृद्धि होगी.



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