Wednesday, October 16, 2024 |
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हिंदुस्तान जिंक ने भारत के सबसे अधिक भार वाले ट्रांसमिशन स्टील पोल स्ट्रक्चर के लिए जिंक की आपूर्ति की

by Business Remedies
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बिजनेस रेमेडीज़/उदयपुर। भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, ने घोषणा की कि भारत के सबसे अधिक भार वाले ट्रांसमिशन स्टील पोल स्ट्रक्चर के लिए गैल्वनाइजेशन प्रक्रिया में शीर्ष-गुणवत्ता वाले जिंक का उपयोग किया गया है। लगभग 57 मीटर ऊंची विशाल 400 किलोवोल्ट दोहरी पोल संरचना को हिंदुस्तान जिंक के लो-ड्रॉस जंबो स्पेशल हाई ग्रेड जिंक और स्पेशल हाई ग्रेड जिंक सिल्लियों के मिश्रण का उपयोग कर गैल्वनाइजेशन किया गया। स्किपर लिमिटेड द्वारा डिजाइन और निर्मित यह संरचना आंध्र प्रदेश में प्रस्तावित पिन्नापुरम इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी विद स्टोरेज प्रोजेक्ट के तहत 400 केवी क्वाड मूस डीसी ट्रांसमिशन लाइन्स परियोजना का हिस्सा है। भारत की सबसे बड़ी पावर ट्रांसमिशन एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन मैन्यूफैक्चरर, स्किपर लिमिटेड, अपने पश्चिम बंगाल संयंत्र में देश की सबसे बड़ी गैल्वनाइजिंग सुविधाओं में से एक का संचालन करती है। 200 मीट्रिक टन से अधिक वजन वाली दोहरी पोल संरचना पारंपरिक फोर लेग्ड जाली वाले टावर की तुलना में काफी अनुकूलित डिजाइन प्रदान करती है, जो इसे मेट्रो शहरों और जगह की कमी वाले शहरी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। जंग से बचाने के लिए, दोहरी पोल संरचना को हिंदुस्तान जिंक के लो-ड्रॉस जंबो स्पेशल हाई-ग्रेड जिंक और स्पेशल हाई ग्रेड सिल्लियों के मिश्रण का उपयोग कर गैल्वनाइजेशन प्रक्रिया की गयी। सबसे भारी संरचना में हिंदुस्तान जिंक के विशेष उच्च ग्रेड जिंक और अभिनव लो-ड्रॉस जंबो विशेष उच्च ग्रेड जिंक का उपयोग किया गया है, जो कि इसके विशाल आकार और वजन के कारण हैंडलिंग और लोडिंग को सरल बनाता है। गैल्वनाइज्ड डुअल पोल को आंध्र प्रदेश भेजा गया, जो जंग से ग्रस्त एक तटीय क्षेत्र है। जिंक की सुरक्षात्मक परत तटीय क्षेत्रों के लिए आवश्यक है, जहां उच्च आर्द्रता, नमक और नमी जंग को बढ़ाती है और संरचनात्मक अखंडता से समझौता करती है। जिंक के गुण जो स्टील की रक्षा करते हैं, इसे भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं, जिसमें सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, रेलवे, सडक़ मार्ग, पुल और बिजली ट्रांसमिशन शामिल हैं गैल्वनाइज्ड कोटिंग्स के कम उपयोग के कारण भारत में जंग लगने की लागत अन्य प्रमुख देशों की तुलना में अधिक है। जंग लगने के कारण खराब हो चुके क्षतिग्रस्त उपकरण या घटक की मरम्मत या प्रतिस्थापन करने की तुलना में जंग को रोकना अधिक सरल और अधिक लागत प्रभावी है।



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