— टाटा समूह कर रहा है इस प्लांट की स्थापना
— 91,000 करोड़ रुपए आ रही है लागत
— धोलेरा में बनेगी देश की पहली स्मार्ट इंडस्ट्रीज सिटी
– अब सेमीकंडक्टर चिप से जुड़ेंगी बुनियादी सुविधाएं!
जयपुर। देश के विकास को गति देने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी लगातार प्रयास कर रहीं हैं। सेमीकंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के गुजरात सरकार ने कदम आगे बढ़ाया है। देश में लगने वाले पांच सेमीकंडक्टर संयंत्रों में से चार गुजरात में लगाए जाएंगे। गुजरात के धोलेरा में लगने वाले इन सेमीकंडक्टर संयंत्रों में टाटा समूह सहयोग करेगा। इन सेमीकंडक्टर्स प्लांट के निर्माण में 91,000 करोड़ रुपए की लागत आएगी। एक अन्य संयंत्र के पूर्वोत्तर के असम राज्य में लगने की संभावना है। वहीं राजस्थान की बात करें तो सेमीकंडक्टर निर्माण का रॉ-मैटेरियल भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। बावजूद इसके राजस्थान में निवेश नहीं आना और इंडस्ट्रीज नहीं लगना समझ से परे है।
इन सेमीकंडक्टर संयंत्रों के लगने से गुजरात के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास सामाजिक बुनियादी ढांचा भी विकसित होगा। इन औद्योगिक क्षेत्रों में अस्पताल, स्कूल, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट और ऐसी अन्य भवनों का निर्माण होगा। इन इमारतों के निर्माण से राज्य के विकास को गति मिलेगी।
धोलेरा में बन रही देश की पहली स्मार्ट इंडस्ट्रीज सिटी
गुजरात के धोलेरा में देश की पहली स्मार्ट इंडस्ट्रीज सिटी बन रही है। टाटा समूह धोलेरा में देश का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित कर रहा है। धोलेरा को भारत के भविष्य का सिंगापुर कहा जा रहा है। अहमदाबाद से 100 किमी दूर धोलेरा सिंधु घाटी सभ्यता के लोथल शहर पर बसा है और अब यह देश का पहला स्मार्ट इंडस्ट्रीज सिटी बनने जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार ने मिलकर धोलेरा इंडस्ट्रीज सिटी डवलपमेंट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की है। धोलेरा में अलग-अलग जगह तेजी से काम चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है। टाटा समूह ने 91,000 करोड़ रुपए की लागत से यहां सेमीकंडक्टर प्लांट लगाना भी शुरू कर दिया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स व सेमीकंडक्टर विनिर्माण नीति को गति मिलेगी
हाल ही में गांधीनगर में इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) विजन समिट 2025 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण नीति की घोषणा की गई। इसी का परिणाम है कि भारत में लगाए जा रहे पांच सेमीकंडक्टर संयंत्रों में से चार गुजरात के धोलेरा में बन रहे हैं। इन संयंत्रों के लगने से राज्य के विकास को गति मिलेगी। गुजरात देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।
कई नीतियों पर काम कर रही सरकार
जानकारी के अनुसार, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों पर भी काम कर रही है। देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के रसायन और गैस जैसे कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हो। देश ने अब तक आईएसएम के पहले चरण के तहत 18 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित कर लिया है।
सेमीकंडक्टर का समूचा तंत्र बनाएगी पीएसएमसी
पावर चिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन (पीएस एमसी) भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने के लिए ताइवान से सेमीकंडक्टर फैब निर्माण कंपनियों को भारत लाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। पीएसएमसी जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत लाने के लिए स्वागतयोग्य माहौल बनाया जा रहा है, जिससे ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा जो नवाचार और निवेश के लिए अनुकूल होगा। पीएससीएम कई मोर्चों पर टाटा समूह के साथ सहयोग कर रही है। कंपनी ने गुजरात के धोलेरा में देश की पहली सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण इकाई बनाने के लिए भारत के टाटा समूह के साथ साझेदारी की है।
राजस्थान इस मामले में पिछड़ा, ध्यान दे सरकार
राजस्थान में सेमीकंडक्टर प्लांट की अपूर्व संभावनाएं हैं। राजस्थान में सेमीकंडक्टर का रॉ-मैटेरियल बड़ी मात्रा में उपलब्ध है, बावजूद इसके राजस्थान का इस सेक्टर में पिछडऩा समझ से परे है। रॉ-मैटेरियल व सेमीकंडक्टर की प्लाज्मा टैक्नोलॉजी के सबसे बड़े एक्सपर्ट भी राजस्थान से ही हैं। ऐसे में राजस्थान में सेमीकंडक्टर निर्माण का प्लांट लगना चाहिए। सरकार को इस मामले में एक आवश्यक व लचीली नीति बनानी चाहिए, जिससे प्रदेश में निवेश आकर्षित हो और यहां पर सेमीकंडक्टर का प्लांट लगे। पिछली कांग्रेस सरकार के समय यहां पर दो प्लांट लगने के एमओयू हुए थे, लेकिन लचीले रुख के अभाव में दोनों एमओयू रद्द करने पड़े। सेमीकंडक्टर की सबसे सटीक प्याजमा टैक्नोलॉजी है। इसके तकनीक के एक्सपर्ट भी हमारे पास हैं। पिछली बार भी उन्होंने राजस्थान विजिट किया और उद्योग लगाने के लिए सरकार से फ्री जमीन देने की मांग की, लेकिन सरकार फ्री जमीन नहीं दे पाई। ऐसे में बात आगे नहीं बढ़ पाई।
वर्जन
– सेमीकंडक्टर का रॉ-मैटेरियल सिल्का सेंड और क्वार्टज राजस्थान में भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में राजस्थान के अफसर इस मामले में क्या कर रहे हैं, यह समझ से परे है। राज्य के मंत्री व अफसरों को इस मामले में बात करनी चाहिए और किसी बड़े ग्रुप को राजस्थान में निवेश के लिए लाना चाहिए। रिलायंस ग्रुप, अडाणी ग्रुप और मोदी ग्रुप आदि से बात कर राज्य में निवेश के लिए माहौल बनाना चाहिए। राज्य में सेमीकंडक्टर का रॉ-मैटेरियल भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में सरकार को इस मामले में प्रयास करना चाहिए। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय भी राज्य में इस क्षेत्र में निवेश के लिए एमओयू हुए थे। कंपनियों ने यहां निवेश के लिए हैंड फ्री मांगी थी, जिसे राज्य सरकार नहीं दे पाई और ये प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश और कर्नाटक में चले गए।
– एन.के. जैन, अध्यक्ष, दी एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान व कैमिकल इंजीनियर, एक्सपर्ट प्लाज्मा टैक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर
