भारत में स्मार्टफोन की मांग निरंतर बढ़ रही है। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत के बढ़ते कदम इसके लिए सार्थक सिद्ध होते जा रहे हैं। जहां एक ओर इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात एफवाई डब्ल्यूजेड की अप्रैल-नवंबर अवधि में $22.5 बिलियन तक पहुंच गया है, जो एफवाई डब्ल्यूवाई में इसी अवधि के $17.66 बिलियन के मुकाबले लगभग 28 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। यह बढ़ोतरी इलेक्ट्रॉनिक्स को भारत के शीर्ष दस निर्यात क्षेत्रों में सबसे तेजी से बढऩे वाला सेक्टर बना रही है। इसने इंजीनियरिंग उत्पादों और पेट्रोलियम के बाद छठे स्थान से तीसरे स्थान पर छलांग लगाई है। इस वृद्धि का मुख्य श्रेय स्मार्टफोन उत्पादन को बढ़ावा देने वाली प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना को जाता है। स्मार्टफोन निर्यात $13.11 बिलियन तक पहुंच गया है, जो एफवाई डब्ल्यूवाई के $9.07 बिलियन के मुकाबले 45 फीसदी की वृद्धि है। स्मार्टफोन अब कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का 58 फीसदी हिस्सा रखते हैं, और यह हिस्सा एफवाई डब्ल्यूजेड के अंत तक 60-65 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। एप्पल की भारत में एंट्री और उसके वेंडर जैसे कि फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने स्मार्टफोन निर्यात को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। इस साल कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में एप्पल का योगदान लगभग 40 फीसदी रहा है। अन्य प्रमुख श्रेणियों में सोलर मॉड्यूल, डेस्कटॉप और राउटर शामिल हैं। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन का कहना है कि भारत को चीन और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए शुल्क और लॉजिस्टिक्स सुधार की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात अब पेट्रोलियम निर्यात के आधे तक पहुंच रहा है, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ी उपलब्धि है। अमेरिकी बाजार में स्मार्टफोन निर्यात ने अब हीरा निर्यात को भी पीछे छोड़ दिया है। सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और निर्यात आधारित विकास मॉडल को मजबूत करने के लिए टैरिफ संरचना की समीक्षा कर रही है। भविष्य में स्मार्टफोन की बढ़ती मांग से भारत में निरंतर बढ़ोतरी होने की पूरी उम्मीद बनी हुई है।
स्मार्टफोन की मांग से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में बढ़ोतरी
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