Thursday, January 16, 2025 |
Home » खाद्य तेलों में तेजी से आम उपभोक्ता परेशान

खाद्य तेलों में तेजी से आम उपभोक्ता परेशान

by Business Remedies
0 comments
punit jain

एडिबल ऑयल यानी खाद्य तेल की कीमतों में तेजी के कारण आम उपभोक्ता परेशान हैं। खाद्य तेलों की दरें कम होने का नाम नहीं ले रही है। यह चिंता का विषय बना हुआ है। खुदरा बाजार में खाद्य तेल की कीमत ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। सोयाबीन तेल की कीमत 160-70 रुपए लीटर तक पहुंच गई है। त्योहारी सीजन के दौरान खाद्य तेल की कीमत में काफी तेजी आई थी। इस दौरान पाम ऑयल की कीमत में अक्टूबर में 37 फीसदी उछाल देखने को मिली। इसी तरह सरसों का तेल 29 फीसदी, सोयाबीन तेल 23 फीसदी, सनफ्लावर ऑयल 23 फीसदी और मूंगफली का तेल चार फीसदी महंगा हुआ। माना जा रहा था कि त्योहारों के बाद खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। लेकिन नवंबर में कीमतों में कोई राहत नहीं मिली। सीएनबीसी ने अपनी रिपोर्ट में भी बताया है कि खाद्य तेल की कीमत बढऩे के कारणों पर उसका कोई कंट्रोल नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेल की कीमत बढ़ रही है। साथ ही साउथ ईस्ट एशिया में पाम ऑयल सीजन कमजोर रहा है। सरकार ने अब तक आयात शुल्क में कटौती का फैसला नहीं किया है। घरेलू किसानों के फायदे के लिए सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर ड्यूटी बढ़ाई थी। जहां एक ओर 14 सितंबर को सरकार ने देश में तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए क्रूड और रिफाइंड एडिबल ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। क्रूड पाम, सोयाबीन और सोयाबीन तेल पर ड्यूटी 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 27.5 फीसदी कर दी थी, जबकि रिफाइंड ऑयल पर ड्यूटी 13.7 फीसदी से बढ़ाकर 35.7 फीसदी कर दी गई थी। अक्टूबर में सरकार ने खाद्य तेल की बढ़ती कीमत पर चिंता जताई थी। इसके बाद विभिन्न मंत्रालयों के बीच इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के प्रभावों पर चर्चा हुई थी और उपभोक्ताओं को राहत देने के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ। माना जा रहा था कि अक्टूबर में सोयाबीन और मूंगफली की नई फसल के बाजार में आने से तेल की कीमत में गिरावट आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत अपनी जरूरत का 58 फीसदी एडिबल ऑयल इम्पोर्ट करता है। सरकार सप्लाई में स्थिरता लाने और घरेलू बाजार को वैश्विक असर से बचाने के लिए तिलहन की खेती को प्रमोट कर रही है। नवंबर में वल्र्ड फूड कमोडिटी प्राइजेज से जुड़ा बेंचमार्क में अप्रैल, 2023 के बाद सबसे बड़ी उछाल देखने को मिली है। वहीं साउथईस्ट एशिया में भारी बारिश के कारण पाम ऑयल में तेजी आई है। भारी मांग के कारण सोयाबीन के तेल की कीमत बढ़ी है, जबकि टाइट सप्लाई के कारण बाकी तेलों की कीमत में तेजी आई है। सरकार को भी खाद्य तेलों की बढ़ती दरों पर अंकुश के लिए अभी से सचेत रहना होगा, क्योंकि इससे आम उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ता है।



You may also like

Leave a Comment

Voice of Trade and Development

Copyright @ Singhvi publication Pvt Ltd. | All right reserved – Developed by IJS INFOTECH