Thursday, April 17, 2025 |
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राजस्थान के खनिज उद्योगों पर मंडराता खतरा

by Business Remedies
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Danger looms over Rajasthan's mineral industries
  • खनन मंत्रालय की ओर से जारी क्रिटिकल मिनरल नीति को लेकर राजस्थान मिनरल ग्राइंडिंग तथा माइनर
  • उद्योग संघ के पदाधिकारियों ने जताई चिंता, राजस्थान के साथ हो रहा है सौतेला व्यवहार

बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। खनन मंत्रालय की ओर से पिछले माह जारी की गई क्रिटिकल मिनरल नीति से राजस्थान के खनिज उद्योगों पर खतरा मंडराने लगा है। नई नीति के प्रभावी हो जाने से खदानों की ओर से अब जीरो वेस्ट माइनिंग करने से कच्चा माल मिलने में तंगी हो गई है और बढ़े भावों से खरीदना पड़ रहा है, जिससे मिनरल ग्राइंडिंग उद्योगों को चलाना बड़ा मुश्किलभरा होता जा रहा है।

केंद्र के खान मंत्रालय द्वारा 20 फरवरी को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि बैराइट, फेल्सपार, अभ्रक और क्वॉर्ट्ज को अप्रधान खनिजों की सूची में से निकालकर प्रधान खनिजों की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है, जिसके पीछे केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से 29 जनवरी, 2025 को नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को मंजूरी दिया जाना है। अब मेजर मिनरल्स के दायरे में आने के कारण प्रदेश के सभी फेल्सपार, क्वॉर्ट्ज, माइका, बैराइट खान संचालकों को भी मिनरल्स कंजर्वेशन एंड डवलपमेंट एक्ट की पालना करने के लिए 31 मार्च, 2025 तक इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस में रजिस्टर्ड करवाना होगा व 30 जून,2025 तक खनन योजना सहमति हेतु आवेदन भी करना होगा। इसके अतिरिक्त निर्धारित फार्मेट में मासिक और वार्षिक रिटर्न फाइल करना अनिवार्य रहेगा। क्रिटिकल मिनरल नीति में यदि राजस्थान से बाहर जाने वाले कच्चे खनिज फेल्सपार पर 700 रुपए प्रति टन का मिनरल टैक्स नहीं लगा तो यहां स्थापित 5000 से अधिक उद्योगों के अस्तित्व पर एक बार फिर खतरा मंडराएगा। इसे लेकर राजस्थान मिनरल ग्राइंडिंग तथा माइनर मिनरल उद्योग संघ के पदाधिकारियों ने चिंता जताकर राज्य सरकार को इसके समाधान के लिए सुझाव देकर राजस्थान (मिनरल राइट्स व मिनरल बैयरिंग लैंड्स) टैक्स कानून बना 700 रुपए प्रति टन की दर से टैक्स वसूली की मांग की है।

 

फैक्ट फाइल…
८ केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन 20 फरवरी, 2025 को जारी किया गया।
८ क्वॉर्ट्ज-फेल्सपार को मेजर मिनरल में शामिल कर लिया गया।
८ उत्पादन में कमी आएगी। साथ ही इनमें जुड़े 6 लाख लोगों का रोजगार भी प्रभावित होगा।
८ खनिज मिनरल बाहर जाने पर 270 करोड़ जीएसटी मिलती है, जबकि लम्स के रूप में जाता है तो महज 54 करोड़।
८ बिजली बिल व अन्य आय-1620 करोड़ प्रतिमाह, जो घटकर 800 करोड़ रुपए ही रह जाएगी।

समाधान व सुझाव
1. सरकार राजस्थान (खनिज अधिकार और खनिज युक्त भूमि ) कर एक्ट जैसे नाम से नया कानून बना खनिज अधिकार और खनिज युक्त भूमि पर 700 रुपए प्रति टन तक का टैक्स लगाएं व राज्य के भीतर ही उनकी खपत कर मूल्य संवर्धन के बाद ही राज्य से बाहर निर्गमित करने वाले राज्य के एमएसएमई उद्योगों से इस बाबत अंडरटेकिंग लेकर उन्हें इस टैक्स को चुकाए बिना ही खरीद करने की छूट दें जिसकी शुरुआत खनिज फेल्सपार, क्वार्ट्ज, माइका और बैराइट से की जाए।
2. ऐसा होने से राज्य को अधिक आय प्राप्त होगी व मूल्य संवर्धन से होने वाली अतिरिक्तआय होगी।

क्या है मुख्य आधार…

राज्य के सभी तरह के प्रधान व अप्रधान खनिज पट्टों से खनन होकर बिना छटाई के ही कच्चे ही औद्योगिक प्रयोजनार्थ राज्य से बाहर निर्गमित होने वाले प्रधान व अप्रधान खनिजों के साथ क्रिटिकल मिनरल्स का भी निर्गमन हो जाता है। क्रिटिकल मिनरल्स देश की रक्षा, एविएशन, मेडिकल, स्पेस, डिफेंस जरुरतों की पूर्ति हेतु अति महत्वपूर्ण है। अत: केंद्र सरकार ने क्रिटिकल मिनरल नीति लागू कर खनन पट्टा क्षेत्रों के भीतर ही जीरो वेस्ट माइनिंग योजना को लागू करने बाबत जोर देते हुए उन्नत तकनीक स्थापित कर उसमें पाए जाने वाले सभी क्रिटिकल खनिजों की रिकवरी करने के उद्देश्य से उन सभी अप्रधान खनिजों को मेजर मिनरल की लिस्ट में हस्तांतरित कर दिया है। जिनके साथ क्रिटिकल मिनरल्स भी पाए जाने की संभावनाएं होती है व उसी क्रम में 20 फरवरी, 2025 के जरिये फेल्सपार, क्वॉर्ट्ज, माइका और बैराइट जैसे अप्रधान खनिजों को प्रधान खनिजों में शुमार कर लिया है ताकि इन खनिजों का खनन वैज्ञानिक तरीकों से हो।

 

फेल्सपार, क्वॉर्ट्ज, माइका के खनन क्षेत्रों से निकलने वाले रन ऑफ माइन में से उसमें उपलब्ध सभी औद्योगिक व क्रिटिकल खनिजों की छटाई व रिकवरी उसके उद्गम स्त्रोत पर या राज्य में ही हो व मूल्य संवर्धन के बाद ही राज्य से बाहर निर्गमन हो ऐसी नीति बने। इससे राज्य का औद्योगिक एवं रोजगार परक विकास चरम सीमा को छुएगा। राज्य के प्रधान व अप्रधान खनिजों के कच्चे रूप में ही कई लाख टन वार्षिक मात्रा में राज्य से बाहर औद्योगिक प्रयोजनार्थ निर्गमन होने से राज्य के खजाने को साधारण रॉयल्टी राशि के अतिरिक्त कोई अन्य आय प्राप्त नहीं हो रही है व ना ही राज्य में मिनरल ग्राइंडिंग उद्योगों की स्थापना में अभिवृद्धि हो रही है। बल्कि वर्तमान में स्थापित 5000 करीब फेल्सपार आधारित एमएसएमई उद्योगों में आधे से ज्यादा बन्द हो गए है या बीमार हो चुके हैं। जितनी रॉयल्टी राशि राज्य सरकार को मिल रही है, उतने से कई गुना ज्यादा की पर्यावरणीय क्षति राज्य को हो रही है जिसकी भरपाई वर्तमान रॉयल्टी दरों से होना नामुमकिन है। अत: अब राजस्थान के खनन पट्टों से राज्य से बाहर कच्चे रूप में निर्गमित हो रहे खनिजों पर 700 रुपए प्रति टन की दर से मिनरल टैक्स लगा स्थानीय उद्योगों का संवर्धन करें राज्य सरकार व इसकी शुरुआत फेल्सपार से हो।
-सुरेन्द्र सिंह राजपुरोहित,प्रदेश संयोजक, राजस्थान माइनर मिनरल उद्योग संघ

 

 

  • कुंजेश कुमार पतसारिया


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