शहरों से दूर पुराने औद्योगिक क्षेत्रों को स्थानांतरित करना और इन्हें रेजिडेंशियल/कमर्शियल हब के रूप में बदलना एक महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। पिछले 70 वर्षों में विकसित औद्योगिक क्षेत्र आज शहरों के बीच में आ चुके हैं। ये क्षेत्र छोटे सडक़ों, पानी और बिजली की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, और इनकी ढांचागत मांगें बहुत बढ़ गई हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों का पर्यावरण बिगड़ गया है।
इन समस्याओं का समाधान केवल राज्य या केंद्र सरकार की ओर से ध्यान देने से ही संभव है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।
औद्योगिक क्षेत्रों की पहचान और पुनरनियोजन
> स्थानीय विकास प्राधिकरण, जैसे जयपुर में छ्वष्ठ्र या अलवर में अर्बन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट, को अधिकृत किया जाए कि वे पुराने औद्योगिक क्षेत्रों की पहचान करें और उनकी डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करें।
> इन क्षेत्रों के भविष्य का आकलन करते हुए उन्हें पुनरनियोजित किया जाए। इसके तहत, पुराने उद्योगपतियों को वहाँ से स्थानांतरित किया जाए और नए औद्योगिक पार्क बनाए जाएं, जो अगले 50 वर्षों के लिए सक्षम हों।
नई सुविधाओं का निर्माण
> नए औद्योगिक पार्क में आवश्यक सुविधाएं, जैसे बिजली, पानी, सडक़ें, पार्किंग, और 24 घंटे भारी वाहनों का प्रवेश सुनिश्चित किया जाए।
> बड़े ट्रीटमेंट प्लांट, बिजली का स्टेशन, सौर ऊर्जा संयंत्र, और वॉटर रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी नई तकनीकों का उपयोग किया जाए।
औद्योगिक पार्क में
आवासीय विकल्प
> कामगारों और गरीब वर्ग के लिए श्वङ्खस् (श्वष्शठ्ठशद्वद्बष्ड्डद्यद्य4 ङ्खद्गड्डद्मद्गह्म् स्द्गष्ह्लद्बशठ्ठ) आवास या प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास निर्माण किया जाए। इससे रोजाना की ट्रैफिक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी और उन्हें रोजगार और आवास एक ही स्थान पर मिल सकेगा।
उद्योगपतियों के लिए प्रोत्साहन
> पुराने औद्योगिक क्षेत्रों की जमीनों का उचित मूल्य देकर उद्योगपतियों को नई जगह पर प्लॉट उपलब्ध कराए जाएं।
> जयपुर में छ्वष्ठ्र को अधिकृत किया जाए कि वह सभी जमीनों को इक_ा करे और उन पर सर्विस चार्ज ले। इन जमीनों को बेचकर संबंधित उद्योगपतियों को पैसे दिए जाएं और नए औद्योगिक क्षेत्र में उचित दर पर प्लॉट उपलब्ध कराए जाएं।
समयबद्ध कार्य योजना
> यदि सरकार आज से इस योजना को लागू करती है, तो अगले 10 से 15 वर्षों में यह पुनरावृत्ति युद्धस्तर पर चल सकती है, जिससे जीडीपी में वृद्धि और लाखों रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
स्थानीय प्रतिनिधियों और औद्योगिक संगठनों की भूमिका
> सभी औद्योगिक संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से निवेदन है कि वे आगामी 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नीतियों को तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण सुझाव दें।
प्रस्तावित समाधान
का उदाहरण
मैं जयपुर का उदाहरण देता हूँ। 2012-13 में तत्कालीन सरकार को उदाहरण दिया था कि जालूपुरा और लाल कोठी के एमएलए क्वार्टरों को समाप्त कर दिया जाए और खाली जमीन का उपयोग कमर्शियल उद्देश्यों के लिए या किसी कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए ऑक्शन कर दिया जाए। विधानसभा के पास जो एमएलए क्वार्टरों हैं, उन्हें तोडक़र बहु-मंजिला आवासीय परिसर बना दिया जाए। इससे सरकार के सभी माननीय विधायकगण एक ही जगह पर नई सुविधाओं और सुरक्षा के साथ बेहद अच्छे तरीके से निवास कर पाएंगे। उनकी सभी सुरक्षा सुनियोजित तरीके से एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएगी और उन्हें रोजमर्रा की यातायात की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। यानी जनता भी खुश और हमारे माननीय विधायकगण भी खुश होंगे।
इन सुझावों के माध्यम से हम एक नए, सक्षम, आधुनिक, और सुरक्षित औद्योगिक वातावरण की ओर बढ़ सकते हैं। सरकार और संबंधित औद्योगिक संस्थाओं को इन सुझावों पर ध्यान देना चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए। यह राष्ट्र निर्माण के लिए एक बड़े बदलाव की दिशा में पहला कदम हो सकता है।
सुनील दत्त गोयल, महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जयपुर, राजस्थान
औद्योगिक क्षेत्रों का पुनर्विकास: रोजगार, विकास और पर्यावरण संतुलन का मंत्र
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