भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए निरंतर आगे बढ़ रहा है। इस ओर केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण पहल तेजी से आकार ले रही है। वैश्विक और घरेलू कंपनियों की ओर से इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। अब तक देश में 6 सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स को मंजूरी मिल चुकी। इसमें करीब 2.36 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत कंपनियों को सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने पर 50 फीसदी पूंजीगत सहायता प्रदान की जा रही है। जानकारों का मानना है कि भारत के सेमीकंडक्टर हब बनने से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। जिन सेमीकंडक् टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है, उनमें महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पनवेल में अडानी गु्रप और इजराइली कंपनी टावर सेमीकंडक्टर का 83,947 करोड़ रुपए का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट स्थापित किया जा रहा है। पहले चरण में इसकी उत्पादन क्षमता 40,000 वेफर्स प्रति माह होगी और दूसरे चरण में यह 80,000 वेफर्स तक पहुंच जाएगी। वहीं अमेरिका की माइक्रोन कंपनी गुजरात के साणंद जिले में 23,000 करोड़ रुपए के निवेश से भारत का पहला ओएसएटी प्लांट बना रही है। यहां डीआरएएम और एनएएनडी उत्पादों की असेंबली और टेस्टिंग की जाएगी। यह प्लांट वर्ष, 2025 के मध्य तक काम शुरू कर सकता है। टाटा ग्रुप और ताइवान की पीएसएमसी कंपनी मिलकर गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपए का सेमीकंडक्टर फैब बना रहे हैं। इसकी उत्पादन क्षमता 50,000 वेफर्स प्रति महीने होगी और वर्ष,2026 तक यह काम करना शुरू कर देगा। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स असम के जगीरोड, मोरीगांव में 27,000 करोड़ रुपए के निवेश से ग्रीनफील्ड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग सुविधा स्थापित कर रही है। यह उत्तर-पूर्व भारत का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट होगा। इसके अलावा सीजी पावर, जापान की रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स और थाईलैंड की स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ मिलकर गुजरात के साणंद में 7,600 करोड़ रुपए के निवेश से ओएसएटी प्लांट बना रही है। इन निवेशों से भारत को सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है, जिससे देश की तकनीकी क्षमता में बड़ा सुधार होगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
Semiconductor Manufacturing की ओर निरंतर बढ़ता भारत
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