बिजनेस रेमेडीज़/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने लाखों मकान खाली पड़े हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहरों में गरीबों और झुग्गीवासियों के लिए बनाए गए 9.7 लाख मकानों में से लगभग 47त्न में कोई नहीं रह रहा है। इसकी मुख्य वजह है मूलभूत सुविधाओं की कमी। संसद की एक समिति ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय पर एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मकानों का खाली रहना योजना के मूल उद्देश्य को ही विफल कर देता है।
मंत्रालय ने समिति को बताया कि बहुत से लाभार्थी इन मकानों में इसलिए नहीं जा रहे हैं क्योंकि सडक़, पानी, बिजली और सीवेज जैसी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह समस्या ‘इन-सिच्यू स्लम रीडेवलपमेंट’ योजना के तहत बने मकानों में ज्यादा है, जहां लगभग 70त्न मकान खाली पड़े हैं।
संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को आवास परियोजनाओं की प्रगति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। निर्माण और आवंटन में देरी को दूर करना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना चाहिए। एफोर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप (एएचपी) और आईएसएसआर दोनों योजनाओं के तहत पूरे हुए 9.7 लाख मकानों में से सिर्फ 5.1 लाख में ही लोग रह रहे हैं। राज्यों ने बताया है कि कम संख्या में लोगों के रहने की मुख्य वजह अधूरी सुविधाएं, मकानों के आवंटन में देरी और कुछ लाभार्थियों की अनिच्छा है। क्करू्रङ्घ- के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकारें अपने संसाधनों से सडक़, पानी और सीवेज जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन, कई राज्य सरकारें ऐसा नहीं कर पाई हैं, जिसकी वजह से मकान खाली पड़े हैं। केंद्र सरकार ने दोनों योजनाओं के तहत एक निश्चित वित्तीय सहायता राशि प्रदान की है। ढ्ढस्स्क्र के तहत प्रत्येक घर के लिए 1 लाख रुपये और ्र॥क्क के तहत यह 1.5 लाख रुपये है। इसके बावजूद ्र॥क्क के तहत बने लगभग 9 लाख घरों में से 4.1 लाख से ज्यादा घर अभी भी खाली हैं। ढ्ढस्स्क्र के तहत बने 67,806 घरों में से 47,510 घर खाली हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा को पिछले हफ्ते बताया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत लाभार्थियों को 88 लाख से ज्यादा घर दिए जा चुके हैं। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि 18 नवंबर तक आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 1.18 करोड़ से ज्यादा घरों को मंजूरी दी है। इस साल अगस्त में कैबिनेट ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (क्करू्रङ्घ-) 2.0 को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य देश की आबादी के विभिन्न वर्गों के बीच समानता पर फोकस करते हुए 1 करोड़ घर बनाना है। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2015 में शुरू की गई थी। इसका मकसद सभी के लिए आवास उपलब्ध कराना है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2015 से अब तक 17.5 लाख घरों को मंजूरी दी है। यह योजना 2022 में खत्म होनी थी, लेकिन मंजूर किए गए घरों को पूरा करने के लिए इसे 31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार को इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा, ताकि गरीबों को घर मिल सकें और योजना का उद्देश्य पूरा हो सके। बुनियादी सुविधाओं का अभाव, आवंटन में देरी और लोगों की अनिच्छा, इन सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा, ताकि क्करू्रङ्घ के तहत बने घरों में लोग रह सकें और उनका जीवन बेहतर बन सके।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत बने लाखों मकान पड़े हैं खाली
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहरों में गरीबों और झुग्गीवासियों के लिए बनाए गए 9.7 लाख मकानों में से लगभग 47% में कोई नहीं रह रहा है
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