आज सूर्योदय की पहली किरण, नई उम्मीदों व संकल्प के साथ नया वर्ष शुरू हो गया है। वैसे तो हमारे लिए हर दिन नया है, हर साल नया और हर नया साल एक नई उम्मीद, नया संकल्प और नए अवसर लेकर आया है। यह वह समय है जब हम अपने अतीत को पीछे छोडक़र भविष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं। यह न केवल समय की एक और परिभाषा है, बल्कि हमारे भीतर छुपे उन अनगिनत संभावनाओं और सपनों की शुरुआत भी है, जिन्हें हम अब साकार करने का दृढ़ संकल्प लेते हैं। नए साल की दस्तक के साथ, हम हर दिन को एक नए अवसर के रूप में अपनाते हैं, जो हमें न केवल अपनी खुशियों को संजोने बल्कि अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाने की प्रेरणा भी देता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नए साल जश्न 1 जनवरी के शुरुआती घंटों तक जारी रहता है। माना जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थ और नाश्ते जो सौभाग्य लाते हैं, मौज-मस्ती करने वालों द्वारा खाए जाते हैं। दुनिया भर में लोग गीत गाने और आतिशबाजी देखने जैसे रीति-रिवाजों के साथ जश्न मनाते हैं। चूंकि नया साल अच्छे बदलाव का एक बड़ा अवसर है, इसलिए कई लोग आने वाले वर्ष के लिए अपने संकल्प लिखते हैं। नए वर्ष के पहले दिन बड़ों का आशीर्वाद मिल जाए तो हर मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। ऐसे में साल के पहले दिन की शुरुआत बड़ों का आशीर्वाद लेकर हो, चाहे वे घर के बड़े-बुजुर्ग, माता-पिता और गुरुजन हों। दुनियाभर में सर्वाधिक प्रचलित ग्रगोरियन कैलेंडर के इतिहास में जाए तो 1 जनवरी को पहली बार 45 ईसा पूर्व में नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया गया था। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष भर में कई दिन नव वर्ष दिवस के रूप में मनाए जाते हैं। पालन इस बात से निर्धारित होता है कि चंद्र, सौर या चंद्र-सौर कैलेंडर का पालन किया जा रहा है या नहीं। वे क्षेत्र जो सौर कैलेंडर का पालन करते हैं। नया साल पंजाब में बैसाखी, असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडु, केरल में विशु, ओडिशा में पना संक्रांति या ओडिया नबाबरसा और बंगाल में पोइला बोइशाख के रूप में आता है। यानी वैशाख,आम तौर पर यह दिन अप्रैल महीने की 14 या 15 तारीख को पड़ता है। चंद्र कैलेंडर का पालन करने वाले लोग चैत्र महीने को वर्ष का पहला महीना मानते हैं।
नई उम्मीदों व नए संकल्प के साथ नए साल-2025 की शुरुआत
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