Friday, January 24, 2025 |
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आईसीसी डेयरी इनोवेशन समिट का चौथा संस्करण शुरू

विशेषज्ञों ने डेयरी में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवाचारों पर अपने विचार साझा किए

by Business Remedies
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बिजनेस रेमेडीज़/जयपुर। आईसीसी डेयरी इनोवेशन समिट का चौथा संस्करण आज जयपुर में ‘नेक्स्ट जनरेशन क्वालिटी डेरीइंग- इनोवेशन फॉर प्रोडक्टिविटी एन्हांसमेंट’ विषय पर शुरू हुआ। समिट का आयोजन इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, नेशनल को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीडीएफआई), एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के सहयोग से किया गया है।
इस अवसर पर स्वागत संबोधन देते हुए आईसीसी राजस्थान स्टेट चैप्टर की अध्यक्ष, डॉ. जयश्री पेरीवाल ने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा डेयरी पशुधन है, जिसमें 300 मिलियन से अधिक गोजातीय पशु हैं। भारत विश्व में दूध का शीर्ष उत्पादक और उपभोक्ता है, तथा अधिकांश दूध की खपत घरेलू स्तर पर ही की जाती है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कार्यान्वयन और भारत सरकार द्वारा उठाए गए अन्य उपायों के कारण, पिछले 9 वर्षों में दूध उत्पादन में 57.62त्न की वृद्धि हुई है, जो 2014-15 के दौरान 146.3 मिलियन टन से बढक़र 2022-23 के दौरान 230.60 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जो विश्व के दूध उत्पादन में 24.64त्न का योगदान देता है।
डॉ. पेरीवाल ने कहा कि उद्योग 4.0 क्रांति के बाद, डेयरी 4.0 दूध उद्योग के लिए एक नया मानक बन गया है। इसमें नई और उन्नत डिजिटल तकनीकों का विशेष रूप से उपयोग किया जा रहा है, जो इस क्षेत्र को पूरी तरह से मानव-प्रधान से प्रौद्योगिकी-प्रधान प्रणाली में बदल रहे हैं। डेयरी 4.0, ऑटोमेशन, सस्टेनेबिलिटी और दक्षता में सुधार के लिए डेयरी उद्योग में उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों का उपयोग है। इन प्रौद्योगिकियों में ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स आदि शामिल हैं।
समिट के विषय पर संबोधित करते हुए आईडीए के पूर्व अध्यक्ष और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, डॉ. जी.एस. राजोरिया ने डेयरी उद्योग के महत्वपूर्ण लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र छोटे किसानों को स्थिर आय प्रदान करता है, जिससे वे अपने परिवारों को सपोर्ट कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, दूध और दूध उत्पाद पोषण सुरक्षा प्रदान करते हैं और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, डॉ. राजोरिया ने डेयरी पशुओं की कम उत्पादकता जैसे प्रमुख चुनौती का भी उल्लेख किया, जो जिनका अपर्याप्त फ़ीड गुणवत्ता के कारण पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि दूध ठंडा करने की सुविधाओं और अस्थिर बिजली आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इस क्षेत्र की वृद्धि में रुकावट डाल रही है। डॉ. राजोरिया ने यह भी कहा कि डेयरी उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देना जरूरी है। उन्होंने भारतीय डेयरी उत्पादों जैसे मुर्रा भैंस के पनीर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की बात की और भारतीय डेयरी क्षेत्र में विश्व भर के देशों की दूध संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता पर जोर दिया।
कीनोट संबोधन में, एनडीडीबी के वरिष्ठ जनरल मैनेजर, डॉ. आर.ओ. गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि डेयरी उद्योग में नवाचार समृद्धि लाने और विश्व के शीर्ष डेयरी उत्पादक के रूप में भारत को अग्रणी बनाए रखने के लिए आवश्यक है। देश में 300 मिलियन मवेशी और भैंस होने के बावजूद, उन्होंने कम उत्पादकता की महत्वपूर्ण चुनौती का उल्लेख किया। इसे सुधारने के लिए उन्होंने जनसंख्या में सर्वोत्तम पशुओं की पहचान करने के महत्व पर जोर दिया, जिससे दूध उत्पादन को बढ़ाया जा सके। निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया चयन की सटीकता और नस्ल सुधार कार्यक्रमों के तेजी से कार्यान्वयन पर निर्भर करती है।
डॉ. गुप्ता ने इस संदर्भ में ‘ब्रीडर्स इक्वेशन’ की प्रासंगिकता को भी स्पष्ट किया, जो यह दर्शाता है कि आनुवंशिक लाभ चयन की तीव्रता, सटीकता, आनुवंशिक विविधता और पीढ़ी के अंतराल पर निर्भर करता है। इस दृष्टिकोण को अपनाकर उत्पादकता को स्थायी रूप से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सभी हितधारकों से मिलकर चुनौतियों को हल करने और इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार को बढ़ावा देने में सहयोग करने का आह्वान किया।
आरईआईएल के पूर्व प्रबंध निदेशक,ए.के. जैन ने विशेष संबोधन में डेयरी उद्योग में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दूध विश्लेषण में स्वचालन दक्षता बढ़ाता है, सटीकता सुनिश्चित करता है, और आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, जिससे त्रुटि-मुक्त डेयरी संचालन होता है। उन्होंने एक उदाहरण के रूप में अल्ट्रासोनिक तकनीक का उल्लेख किया, जो दूध में मिलावट, जैसे पानी मिलाने, का पता लगा सकती है, जिससे दूध उत्पादों की शुद्धता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।



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