भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम गतिशक्ति योजना विभिन्न मंत्रालयों में समन्वय कायम करने और योजनाओं को सही तरह से आगे बढ़ाने में सहायक साबित हुई है। देश में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए तीन वर्ष पहले शुरू की गई पीएम गतिशक्ति योजना पर प्रधानमंत्री ने यह सही कहा कि यह एक परिवर्तनकारी पहल है और इसके जरिये भारत सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास कर रहा है। निश्चित रूप से इस महत्वाकांक्षी योजना ने बीते तीन वर्षों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। एक दर्जन से अधिक मंत्रालयों में समन्वय कायम करने वाली इस योजना के चलते केवल बुनियादी ढांचे से जुड़ी योजनाओं को आगे बढ़ाने में ही सफलता नहीं मिली है, बल्कि लॉजिस्टिक पर आने वाले खर्च को कम करने और एक स्थान से दूसरे स्थान पर सामग्री भेजने में लगने वाले समय को कम करने में भी कामयाबी हासिल हुई है। देश की जरूरतों के अनुरूप बुनियादी ढांचे का निर्माण विकसित भारत के सपने को साकार करने की एक अनिवार्य शर्त है। इस योजना की सफलता का मूल्यांकन इससे किया जा सकता है कि श्रीलंका और बांग्लादेश ने भी अपने यहां बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पीएम गतिशक्ति के इस्तेमाल के लिए समझौता किया है। वहीं पीएम गतिशक्ति योजना के तीन साल पूरे होने के बाद अब इस योजना के अगले चरण में बुनियादी ढांचे संबंधी जिला स्तरीय योजनाओं को भी शामिल किया जाएगा। ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि अभी जिला स्तर पर विभिन्न विभागों में समन्वय की कमी दिखती है। इससे कई बार योजनाएं देरी से शुरू हो पाती हैं। इसी तरह प्राय: उनमें तालमेल के अभाव के चलते समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इसके चलते बुनियादी ढांचे संबंधी योजनाओं की लागत में भी वृद्धि होती है और उनमें समय भी अधिक लगता है। अब जब सभी राज्यों में बुनियादी ढांचे संबंधी जिला स्तरीय परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए सभी राज्यों के एक-एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है तब फिर इस आवश्यकता की भी पूर्ति होनी चाहिए कि ऐसी परियोजनाओं में न तो दलगत राजनीति आड़े आए और न ही विभागीय असहमतियां।
