मुंबई,
मार्केट रेगुलेटर SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने भारत में mutual funds के नियमों में बड़े बदलावों का प्रस्ताव दिया है, जिसका उद्देश्य है —
👉 निवेशकों के लिए cost कम करना,
👉 fee disclosures को ज़्यादा clear बनाना,
और 👉 charges system को simplify करना।
📘 SEBI के नए consultation paper में, जो 1996 के Mutual Fund Regulations की समीक्षा करता है, कहा गया है कि Asset Management Companies (AMCs) की cost structure को और सख्त किया जाएगा ताकि ज़्यादा फायदा सीधे निवेशकों तक पहुंचे।
💡 Major Proposals by SEBI:
1️⃣ Brokerage & Transaction Cost Cut:
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Cash market trades पर brokerage 12 bps से घटाकर 2 bps करने का प्रस्ताव।
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Derivatives पर 5 bps से घटाकर सिर्फ 1 bps।
2️⃣ Extra 5 bps charge हटेगा:
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2018 से AMCs को AUM पर जो अतिरिक्त 5 bps charge की अनुमति थी, उसे हटाने का प्रस्ताव।
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इसके बदले open-ended active schemes के base TER slabs में 5 bps की वृद्धि की जाएगी।
3️⃣ Transparent Expense Disclosure:
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अब STT, GST और stamp duty जैसे taxes TER में शामिल नहीं होंगे।
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इन्हें investors को अलग से दिखाया और चार्ज किया जाएगा।
🔹 यानी अब TER सिर्फ fund management charges को दिखाएगा, बाकी टैक्स अलग रहेंगे।
4️⃣ Performance-linked TER:
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SEBI performance-based charging लाने की योजना बना रहा है — यानी फंड के बेहतर प्रदर्शन पर ज़्यादा TER, और कमजोर प्रदर्शन पर कम।
5️⃣ NFO (New Fund Offer) Expenses:
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NFO के दौरान allotment तक के खर्चे अब AMC खुद वहन करेगी, scheme से नहीं।
🎯 इन सुधारों से mutual fund investments होंगी —
✅ ज़्यादा पारदर्शी (Transparent)
✅ कम खर्चीली (Cost-effective)
✅ और निवेशकों के लिए ज़्यादा न्यायसंगत (Fair)
💬 Experts का कहना है — अगर ये reforms लागू होते हैं, तो भारत के लाखों mutual fund investors को सीधा फायदा मिलेगा।

