Saturday, January 18, 2025 |
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राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

by Business Remedies
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बिजनेस रेमेडीज़/जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में कर्मचारी कल्याण के साथ-साथ युवाओं के हित, प्रदेश में सुशासन और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फैसले किए गए। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि कैबिनेट ने पिछली सरकार के समय में गठित जिलों और संभागों का पुन: निर्धारण किया है, जिसके बाद अब प्रदेश में कुल 7 संभाग और 41 जिले होंगे।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में प्रदेश में 17 नवीन जिले एवं 3 नवीन संभाग बनाने का निर्णय लिया था, जिसके क्रम में राजस्व विभाग द्वारा दिनांक 5 अगस्त 2023 को अधिसूचना जारी कर जिलों व संभागों का सृजन किया गया था। तीन नए जिलों की घोषणा विधानसभा चुनाव-2023 की आचार संहिता से एक दिन पहले की गई, जिनकी अधिसूचना भी जारी नहीं हो सकी थी।
पुनर्निर्धारण बाद भी 8 नए जिले रहेंगे यथावत: उन्होंने कहा कि गत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने हेतु राज्य सरकार द्वारा एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
विशेषज्ञ समिति द्वारा नवगठित जिलों एवं संभागों के पुनर्निर्धारण के संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट एवं सिफारिशें मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में से 9 जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर व शाहपुरा तथा नवसृजित 3 संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को नहीं रखने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित 3 नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमण्डल ने लिया है।
जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का होगा पुनर्गठन: संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मंत्रिमण्डल के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में कुल 7 संभाग एवं 41 जिले हो जाएंगे। यथावत रखे गए 8 नए जिलों फलौदी, बालोतरा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन और सलूम्बर में प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के लिए राज्य सरकार सभी जरूरी वित्तीय संसाधन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी। इससे इन नए जिलों में रहने वाले आमजन को इन जिलों के गठन का लाभ वास्तविक रूप में मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि अब जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।
मिनिमम एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) पर परिनिंदा के दण्ड का प्रभाव समाप्त: गोदारा ने बताया कि कार्मिकों के हित को ध्यान में रखते हुए मिनिमम एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत देय वित्तीय उन्नयन में राजस्थान सिविल सेवा (सी.सी.ए.) नियम, 1958 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दण्ड के प्रभाव को समाप्त करने का अनुमोदन किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में परिनिन्दा से दण्डित कार्मिक को 9, 18 एवं 27 वर्ष की नियमित सेवा पर देय वित्तीय उन्नयन का लाभ एमएसीपी की निर्धारित तिथि के एक वर्ष बाद मिल पाता है।
अभ्यर्थियों को बड़ी राहत, सीईटी स्कोर की वैधता 3 वर्ष तक: खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता अब 1 वर्ष के बजाय 3 वर्ष के लिए रहेगी। इसके लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि सीईटी स्कोर की वैधता एक वर्ष होने के कारण हर साल होने वाली अगली सीईटी परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी। अत्यधिक संख्या में आवेदन आने पर बोर्ड को वित्तीय भार और कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीईटी स्कोर की वैधता अवधि 3 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
पशुधन सहायक के पदनामों में परिवर्तन, तीसरी पदोन्नति का अवसर भी मिलेगा: खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने बताया कि राजस्थान पशुपालन अधीनस्थ सेवा नियम, 1977 के तकनीकी संवर्ग में पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने और इस संवर्ग के पदनामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इस संशोधन के अनुसार तीसरी पदोन्नति का अवसर देने के लिए मुख्य पशुधन प्रसार अधिकारी का नवीन पद सृजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पशुधन सहायक का पदनाम अब पशुधन निरीक्षक, पशुचिकित्सा सहायक का पदनाम पशुधन प्रसार अधिकारी, सहायक सूचना अधिकारी का पदनाम वरिष्ठ पशुधन प्रसार अधिकारी किया जाएगा। इससे इस संवर्ग के कर्मचारियों के आत्मसम्मान एवं कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
चुरू के राजकीय महाविद्यालय सिद्धमुख के नाम परिवर्तन को स्वीकृति: गोदारा ने बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दानदाता के सम्मान व अन्य दानदाताओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से चुरू के राजकीय महाविद्यालय सिद्धमुख का नामकरण ‘श्रीमती शकुन्तला देवी राजकीय महाविद्यालय, सिद्धमुख करने की स्वीकृति प्रदान की गई है।



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