Thursday, January 16, 2025 |
Home » गंभीर मांसपेशियों की चोट से जुड़े Kidney फेलियर के जटिल केस का Udaipur में सफलतापूर्वक इलाज

गंभीर मांसपेशियों की चोट से जुड़े Kidney फेलियर के जटिल केस का Udaipur में सफलतापूर्वक इलाज

by Business Remedies
0 comments

बिजऩेस रेमेडीज/उदयपुर
किडनी फेलियर के अप्रत्याशित कारणों को दर्शाने वाले एक दुर्लभ केस में Paras Health Udaipur के डॉक्टरों ने एक 27 वर्षीय व्यक्ति का सफलतापूर्वक इलाज किया है।
व्यक्ति को मांसपेशियों की चोट के कारण रीनल कॉम्प्लिकेशन के साथ भर्ती कराया गया था। यह केस पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है कि किडनी फेलियर मुख्य रूप से डायबिटीज, हाइपरटेंशन या ग्लोमेरुलर बीमारी जैसी बीमारियों के कारण होता है। अमित यादव (बदला हुआ नाम) उदयपुर स्थित मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में खतरनाक लक्षणों के साथ भर्ती हुए थे। इन लक्षणों में कम पेशाब आना, बाय लेट्रल पेडल एडिमा, उसके निचले अंगों में सूजन, पेट में दर्द और लाल रंग का पेशाब आ रहा था। ये लक्षण एक हफ्ते से ज्यादा समय तक से थे। भर्ती होने पर जांच कराने से पता चला कि क्रिएटिनिन और पोटेशियम का स्तर गंभीर रूप से बढ़ा हुआ है, साथ ही अग्न्याशय में सूजन, लीवर की चोट और किडनी में सूजन है। उसके शरीर पर कई चोटें भी थीं, जो कथित तौर पर शारीरिक झगड़े के दौरान लगी थीं। आगे की जांच में रबडोमायोलिसिस की बात सामने आई। रबडोमायोलिसिस मांसपेशियों के गंभीर रूप से टूटने के कारण हुई । उनके मूत्र में मायोग्लोबिन की मौजूदगी की पुष्टि डायग्नोस्टिक परीक्षणों के माध्यम से हुई, साथ ही क्रिएटिन फॉस्फोकाइनेज  का स्तर 50,000 से ज्यादा था। इन सब कारकों के कारण एक्यूट किडनी इंजरी (्र्यढ्ढ) हुई, जिस वजह से मूत्र उत्पादन में कमी आई। पारस हेल्थ उदयपुर के डॉ. आशुतोष सोनी कंसलटेंट नेफ्रोलॉजी ने कहा कि यह केस किडनी फेलियर के अपरंपरागत कारणों को पहचानने के महत्व को दर्शाता है। अमित के किडनी फेलियर का कारण मांसपेशियों से निकला मायोग्लोबिन नाम का प्रोटीन था, जो की किडनी में जमा होकर ,जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं। । ऐसे केस में रिकवरी के लिए शुरुआती पहचान और तुरंत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। मरीज को मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया, जहाँ उनकी किडनी फंक्शन को नियंत्रित करने के लिए उन्हें कई बार हेमोडायलिसिस से गुजरना पड़ा। तीन यूनिट पैक्ड रेड ब्लड सेल्स चढ़ाने और मेटाबॉलिक स्टेबलाइजेशन सहित सपोर्टिव उपाय किए गए। धीरे-धीरे उनके मूत्र उत्पादन में सुधार हुआ और उनके किडनी के कार्य में सुधार के संकेत दिखाई दिए। इलाज 8 से 10 दिन तक चला। इलाज के शुरुआती स्टेज के बाद मरीज़ की हालत स्थिर हो गई।

 



You may also like

Leave a Comment

Voice of Trade and Development

Copyright @ Singhvi publication Pvt Ltd. | All right reserved – Developed by IJS INFOTECH