बिजऩेस रेमेडीज/अहमदाबाद
Marengo CIMS Hopital अहमदाबाद ने लेफ्ट कार्डिएक सिम्पैथेटिक डिनेर्वेशन के लिए भारत में पहली बार थोरैकोस्कोपिक फ्लोरोसेंस-गाइडेड सर्जरी की तकनीक का उपयोग किया है, जो पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। 8 साल के एक बालक को मरीज के रूप में अस्पताल लाया गया, और डायग्नोसिस के बाद पता चला कि वह ऑटोसोमल रिसेसिव कैटेकोलामाइनर्जिक पॉलीमॉर्फिक वेंट्रीकुलर टैचीकार्डिया-टाइप 2 से पीडि़त है। यह इस दुर्लभ और जानलेवा बीमारी के इलाज की सबसे बेहतर प्रक्रिया है, जो उपचार के क्षेत्र में हुई प्रगति को दर्शाती है। सचमुच, यह प्रक्रिया दिल की बेहद खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिवारों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है। मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल में कार्डियक एरिथिमिया विभाग की कमान डॉ. अजय नाइक, कार्डियक इलेक्ट्रो-फिजियोलॉजिस्ट, तथा कार्डियक एरिथिमिया एवं एचएफ डिवाइस डिवीजन के डायरेक्टर, के हाथों में है, जबकि डॉ. सरव शाह, कंसल्टेंट थोरेसिक सर्जन, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल, थोरेसिक सर्जरी विभाग की अगुवाई कर रहे हैं।
डॉ. अजय नाइक, कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट, तथा कार्डियक एरिथिमिया एवं हार्ट फेल्योर डिवाइस डिवीजन के डायरेक्टर, कहते हैं, ‘इस मामले में काफी जटिल एरिथिमिया की जानलेवा प्रकृति की वजह से कई बड़ी चुनौतियाँ हमारे सामने थीं। फ्लोरोसेंस-गाइडेड सर्जरी की वजह से हमें अव्वल दर्जे की सटीकता प्राप्त हुई, जो पहले इस तरह की प्रक्रियाओं में संभव नहीं था। सिर्फ दवाइयों से इस तरह की बीमारियों का इलाज नहीं किया जा सकता है, साथ ही बेहद कम उम्र के मरीजों में इम्प्लांटेबल डिफ़िब्रिलेटर का उपयोग काफी मुश्किलें पैदा करता है। इस सर्जरी की कामयाबी ने ऐसे मरीजों और उनके परिवारों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है, साथ ही इसने भविष्य में इसी तरह के मामलों के उपचार में भी एक नई मिसाल कायम की है।
डॉ. सरव शाह, कंसल्टेंट थोरेसिक सर्जन, ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सर्जरी भारत में दिल की बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के उपचार में एक बड़ी उपलब्धि है। फ्लोरोसेंस-गाइडेड सर्जरी की मदद से हमारे लिए सिम्पथेटिक सीरीज़, खासतौर पर स्टेलेट गैंग्लियन की सटीक पहचान कर पाना संभव हुआ, जिससे हम हॉर्नर सिंड्रोम की गंभीर जटिलता से बच सके। बेहद कम चीर-फाड़ वाली थोरैकोस्कोपिक सर्जरी के साथ-साथ फ्लोरोसेंस गाइडेंस तकनीकी का उपयोग यह दर्शाता है कि, मरीज के परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से अत्याधुनिक मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। यह प्रक्रिया ष्टक्कङ्कञ्ज से पीडि़त मरीजों की जिंदगी बचाने वाली है, इसलिए चिकित्सा कर्मियों के साथ-साथ ऐसे मरीजों के परिवारों को भी इसकी क्षमता को समझना चाहिए। हमें गर्व है कि हम इस तकनीक में सबसे आगे हैं, साथ ही हम इसकी उपलब्धता के दायरे को बढ़ाने के इरादे पर अटल हैं। गौरव रेखी, रीजनल डायरेक्टर, वेस्ट, ने कहा, कि लगातार इनोवेशन करना और मरीजों की देखभाल को सबसे ज्यादा अहमियत देना ही मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल का मूल सिद्धांत है।