बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारत में थोक महंगाई दर अगस्त में घटकर चार महीने के निचले स्तर 1.31 प्रतिशत पर पहुंची, जुलाई में यह 2.04 प्रतिशत थी। थोक महंगाई दर में कमी की वजह ईंधन की कीमतों में कमी आना और खाद्य वस्तुओं में महंगाई का कम होना है। सरकार की ओर से मंगलवार को यह जानकारी दी गई। फूड इंडेक्स, जिसमें प्राइमरी और मैन्युफैक्चरर उत्पादों से बनने वाले खाद्य उत्पादों को शामिल किया जाता है, यह घटकर अगस्त में 193.2 रह गया है, जो कि जुलाई में 195.4 था। डब्ल्यूपीआई फूड इंडेक्स में वार्षिक महंगाई दर अगस्त में कम होकर 3.26 प्रतिशत रह गई है, जो जुलाई में 3.55 प्रतिशत थी। प्राथमिक उत्पादों का इंडेक्स अगस्त में 1.37 प्रतिशत गिरकर 194.9 रह गया है, जो जुलाई में 197.6 पर था।
मिनरल की कीमतों में -2.66 प्रतिशत, कू्रड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस की कीमतों में -1.84 प्रतिशत, फूड उत्पादों की कीमतों में -1.83 प्रतिशत की अगस्त में जुलाई के मुकाबले कमी आई है। हालांकि, अगस्त में गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतें 1.65 प्रतिशत बढ़ी हैं। ईंधन और पावर का डब्ल्यूपीआई इंडेक्स अगस्त में 0.14 प्रतिशत बढक़र 148.1 हो गया है, जो कि जुलाई में 147.9 था। भारत में अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 प्रतिशत रही है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के महंगाई के लक्ष्य 4 प्रतिशत से कम है। जुलाई में यह आंकड़ा 3.6 प्रतिशत था। अगस्त में खुदरा महंगाई दर में मामूली बढ़त की वजह खाद्य वस्तुओं में महंगाई 5.42 प्रतिशत से बढक़र 5.66 प्रतिशत होना था। हालांकि, यह जून 2023 के बाद का दूसरा निचला स्तर है। थोक महंगाई दर में कमी आने का सीधा असर आने वाले समय में खुदरा महंगाई दर पर होता है। ऐसे में थोक महंगाई दर का कम होना एक सकारात्मक संकेत है। इससे संकेत मिलता है कि भविष्य में महंगाई दर कम रहेगी और आने वाले समय में आम जनता को राहत मिलती रहेगी।