महंगाई की मार से जूझ रही आम लोगों को आने वाले दिनों में खुश खबर मिल सकती हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार आने वाले समय में महंगाई से थोड़ी राहत मिल सकती है। खरीफ सीजन में अच्छी उपज और रबी सीजन में बढिय़ा बुआई की संभावना से खाने-पीने की चीजों की महंगाई घटने के आसार हैं। ग्रामीण इलाकों में वस्तुओं की अच्छी मांग बनी हुई है और शहरी इलाकों में बेरोजगारी घट रही है। आयात के आंकड़े बता रहे हैं कि देश में वस्तुओं की जोरदार मांग बनी हुई है, जो बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का संकेत है। वैसे वैश्विक मोर्चे पर अनिश्चितताओं सहित कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन आने वाले महीनों में देश की अर्थव्यवस्था का हाल अच्छा रहने की उम्मीद है। पिछले दिनों जारी किए गए रिव्यू में कहा गया है कि खाने-पीने की कुछ चीजों के दाम अभी ऊंचे हैं, लेकिन खरीफ सीजन में कृषि उपज अच्छी रहने और रबी सीजन में अच्छी बुआई की संभावना को देखते हुए आगामी महीनों में फूड इंफ्लेशन घटने की संभावना है। नवंबर के शुरुआती रुझानों से खाने-पीने की प्रमुख चीजों के दाम में नरमी का संकेत मिला है। हालांकि वैश्विक कारणों से देश में इंफ्लेशन और सप्लाई चेन पर पड़ रहा असर जारी रह सकता है। अक्टूबर में रिटेल इंफ्लेशन 6.2 फीसदी के साथ 14 महीनों के ऊंचे स्तर पर थी। फूड इंफ्लेशन 10.9 फीसदी के साथ 15 महीनों के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं भारत के एक्सपोर्ट को विकसित बाजारों में नरम पड़ रही मांग का सामना करना पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों की तस्वीर, जियोपॉलिटिकल डिवेलपमेंट्स और अमेरिका में अगली सरकार के नीतिगत निर्णयों से व्यापार और पूंजी के प्रवाह की दिशा तय होगी। वैश्विक हालात नाजुक बने हुए हैं। जहां वित्त मंत्रालय ने साबुन, बिस्किट, तेल सहित एफएमसीजी प्रोडक्ट्स और दोपहिया गाडिय़ों की डिमांड बढऩे की बात की है, लेकिन रिलायंस रिटेल, हिंदुस्तान यूनीलीवर और नेस्ले इंडिया जैसी कंपनियों का कहना है कि उपभोक्ता की डिमांड नरम पड़ रही है। वहीं, देश के प्रमुख उद्योग संगठनों ने बजट से जुड़ी अपनी मांग में कहा है कि सरकार मनरेगा का बजट बढ़ाने और कम इनकम वालों को कुछ रकम के वाउचर जारी करने पर विचार करे, जिससे वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग बढ़े। वहीं जीडीपी के करीब 60 फीसदी हिस्से से जुड़ी इस तस्वीर पर गंभीरता से विचार की जरूरत है।
आने वाले समय में महंगाई से थोड़ी मिल सकती है राहत
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