हमारे देश की सडक़ों पर पंजीकरण समाप्त हो चुके वाहनों का चलना एक गंभीर मुद्दा बन गया है। यह न केवल यातायात नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सडक़ दुर्घटनाओं के मामलों में जिम्मेदारी तय करने को भी जटिल बना देता है। पंजीकरण समाप्त वाहनों की बढ़ती संख्या न केवल सरकारी राजस्व की हानि करती है, बल्कि यातायात प्रबंधन को भी चुनौतीपूर्ण बनाती है।
कड़ी कार्रवाई का महत्व
वाहनों का पंजीकरण समाप्त होने के बावजूद उनका सडक़ पर चलना गैरकानूनी है। यह न केवल बकाया रोड टैक्स और चालानों की समस्या को बढ़ावा देता है, बल्कि यातायात सुरक्षा को भी खतरे में डालता है। सरकार को चाहिए कि ऐसे वाहनों के मालिकों को तत्काल नोटिस भेजे और वाहन की स्थिति की जांच के लिए परिवहन विभाग में रिपोर्ट करने को कहे।
जिन वाहनों का पंजीकरण नवीनीकरण नहीं कराया गया है, उन्हें जब्त कर स्क्रैप किया जाना चाहिए। यह कदम यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ा संदेश होगा और सरकार को सही आंकड़े उपलब्ध कराएगा।
वाहनों के पंजीकरण की सीमा
डीजल वाहनों के लिए 10 वर्ष, पेट्रोल वाहनों के लिए 15 वर्ष, और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 5 वर्ष की अधिकतम पंजीकरण सीमा तय की जानी चाहिए। इससे पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सडक़ से हटाने में मदद मिलेगी।
री-केवाईसी और
प्रणाली में सुधार
यह आवश्यक है कि वन टाइम टैक्स की वैधता समाप्त होने के बाद वाहन और मालिक की री-केवाईसी हो। पंजीकरण समाप्त होने पर वाहन मालिक अक्सर पता बदल लेते हैं या वाहन बेच देते हैं, लेकिन स्वामित्व हस्तांतरण नहीं करवाते। सरकार को भ्रष्टाचार-मुक्त तंत्र विकसित करना चाहिए, जहां वाहन स्वामी आसानी से प्रक्रिया पूरी कर सकें।
सरकार की भूमिका
सरकार को सभी 15 वर्ष या उससे पुराने पंजीकृत वाहनों का डेटा पुन: जांचना चाहिए। प्रत्येक वाहन मालिक को स्पीड पोस्ट के जरिए नोटिस भेजकर वाहन की री-केवाईसी और फिटनेस जांच करवानी चाहिए। इससे यह पता चल सकेगा कि कितने वाहन अब भी सक्रिय हैं और कितने स्क्रैप हो चुके हैं।
वाहनों का मृत्यु पंजीकरण
मनुष्य के जीवन-मृत्यु पंजीकरण की तरह, वाहनों के लिए भी मृत्यु पंजीकरण आवश्यक किया जाना चाहिए। इससे सरकार को न केवल क्षेत्रीय वाहन डेटा प्राप्त होगा, बल्कि सडक़ों की योजना, ईंधन खपत, और अन्य संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
सरकार को पंजीकरण समाप्त वाहनों पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। यह न केवल यातायात नियमों को लागू करने में सहायक होगा, बल्कि प्रदूषण और अन्य संबंधित समस्याओं को भी नियंत्रित करेगा। समय पर उठाए गए ठोस कदम भविष्य के लिए बेहतर योजना और प्रबंधन सुनिश्चित करेंगे।
सुनील दत्त गोयल, महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जयपुर, राजस्थान
