बिजऩेस रेमेडीज/अहमदाबाद
Marengo Cims Hospital ने विश्व स्ट्रोक दिवस के उपलक्ष्य में स्ट्रोक के मरीजों के लिए समय पर कार्रवाई की हिमायत कीए ताकि इस बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा सके कि ऐसे मरीजों के इलाज के लिए तुरंत और समय पर कदम उठाने से ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को विकलांगता से बचाना संभव है।
Marengo Cims Hospital अहमदाबाद में सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन, डॉ.मुकेश शर्मा इस अस्पताल में न्यूरोसाइंसेज विभाग की कमान संभाल रहे हैं। स्ट्रोक के ज़्यादातर मरीज इसके शुरुआती लक्षणों का अनुभव करते हैं, लेकिन वे इस पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं देते हैं। स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं। 18 से 44 साल की उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामलों में 14.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, 45 से 64 साल की उम्र के लोगों में इसकी मामलों में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। Marengo Cims Hospital , अहमदाबाद में सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन, डॉ. मुकेश शर्मा ने स्ट्रोक की गंभीरता और समय पर कार्रवाई से गंभीर परिणामों की रोकथाम के बारे में बताते हुए कहा कि हम युवाओं में स्ट्रोक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देख रहे हैं जो न्यूरोलॉजिस्ट होने के नाते बड़ी चिंता की बात है। यह प्रवृत्ति काफ गंभीर है, जो कुछ दशक पहले तक हमारी सोच से भी परे था। लंबे समय तक बैठकर काम करने की आदत, तनाव के बढ़ते स्तर, धूम्रपान और खान-पान के विकल्पों को अपनाने के चलते हाइपरटेंशन, डायबिटीज और हाइ-कोलेस्ट्रॉल की समस्या उत्पन्न हो रही है। पारंपरिक तौर पर इन सभी को बुजुर्गों से जुड़ी बीमारी माना जाता था, लेकिन अब 30 और 40 की उम्र के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। यह बदलाव हमें एहतियाती उपायों को अपनाने की जरूरत के बारे में बताता है, जिनमें नियमित रूप से सेहत की जाँच, बेहतर लाइफ स्टाइल के विकल्प और स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में अधिक जागरूकता शामिल है।
