बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। भारत का विदेशी ऋण दिसम्बर, 2024 के अंत तक 10.7 प्रतिशत बढक़र 717.9 अरब डॉलर हो गया। दिसम्बर, 2023 में यह 648.7 अरब डॉलर था। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत की तिमाही विदेशी ऋण रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही आधार पर, दिसम्बर 2024 में विदेशी कर्ज में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सितंबर, 2024 के अंत में यह 712.7 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसम्बर, 2024 के अंत तक विदेशी ऋण और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात 19.1 प्रतिशत रहा, जबकि सितंबर, 2024 में यह 19 प्रतिशत था। इसमें कहा गया, ‘‘दिसम्बर, 2024 के अंत में भारत के बाह्य यानी विदेशी ऋण में अमेरिकी डॉलर मूल्य में ऋण की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 54.8 प्रतिशत रही। इसके बाद भारतीय रुपये (30.6 प्रतिशत), जापानी येन (6.1 प्रतिशत), एसडीआर (4.7 प्रतिशत) और यूरो (तीन प्रतिशत) का स्थान रहा।’’ रिपोर्ट के मुताबिक, दिसम्बर, 2024 के अंत में केंद्र सरकार के बकाया बाह्य कर्ज में कमी आई, जबकि गैर-सरकारी क्षेत्र के बकाया ऋण में सितंबर, 2024 की तुलना में वृद्धि हुई।
कुल बाह्य ऋण में गैर-वित्तीय निगमों के बकाया ऋण की हिस्सेदारी 36.5 प्रतिशत थी। इसके बाद जमा स्वीकार करने वाले निगम (केंद्रीय बैंक को छोडक़र) (27.8 प्रतिशत), केंद्र सरकार (22.1 प्रतिशत) और अन्य वित्तीय निगम (8.7 प्रतिशत) का स्थान रहा। इसमें कहा गया है कि बाह्य कर्ज में ऋण की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 33.6 प्रतिशत थी। इसके बाद मुद्रा और जमा (23.1 प्रतिशत), व्यापार ऋण और अग्रिम (18.8 प्रतिशत) और ऋण प्रतिभूतियों (16.8 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही।
रिपोर्ट के अनुसार, मूलधन और ब्याज भुगतान दिसम्बर, 2024 के अंत में चालू प्राप्तियों का 6.6 प्रतिशत था, जबकि सितंबर, 2024 के अंत में यह 6.7 प्रतिशत था।
