- 500 अरब डॉलर का टार्गेट तय किया भारत ने
- भारत की वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर
- इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की विस्तृत रणनीति रिपोर्ट तैयार
बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। भारत दुनियाभर के बाजारों में अपने इलेक्ट्रिॉनिक्स उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। इसके लिए भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में सरकार ने साल 2030 तक देश में 500 अरब डॉलर तक इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का उत्पादन शुरू करने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में विस्तृत रणनीति रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) और कंसल्टेंसी फर्म बेन एंड कंपनी से सहयोग लिया है।
निर्यात में कलपुर्जों का विशेष स्थान: मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यह रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में संचार मंत्री अश्विनी वैष्णन जारी कर सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण की घोषणा कुछ महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। इलेक्ट्रॉनिक्स की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (जीवीसी) में भारत की भागीदारी सशक्त बनाने के लिए पिछले साल जुलाई में नीति आयोग ने अध्ययन किया था। इसमें यह कहा गया था कि यह महत्वकांक्षी सपना साकार हो सकता है और इसमें कम से कम 200 अरब डॉलर निर्यात से आएंगे, जहां तैयार वस्तु और कलपुर्जे की प्रमुख भूमिका रहेगी।
नई नौकरियां पैदा होने की संभावना बढ़ेगी: अध्ययन में कहा गया था कि इससे 55 से 60 लाख नौकरियां पैदा होने की भी संभावना है। अध्ययन में लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत हस्तक्षेप करने का भी सुझाव दिया गया है। अब मंत्रालय न केवल भारतीय बाजार के लिए बल्कि दुनियाभर में निर्यात के लिए पुर्जों की वृहद आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बजट के साथ इलेक्ट्रॉनिकी पुर्जों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को एक साथ लाने की तैयारी में है।
इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न क्षेत्र शामिल: सरकार ने टारगेट पूरा करने के लिए खास चर्चा के आधार पर आने वाली रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स के विभिन्न क्षेत्र के लिए लक्ष्य तय किए जाने की उम्मीद है, जिसमें मोबाइल डिवाइस, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सर्वर, हियरेबल्स, वेयरेबल्स और चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिकी शामिल हैं। चर्चा का लक्ष्य साल 2030 तक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी को 6 से 7 फीसदी तक करने का है।
2022 में भी की थी पहल: इससे पहले वर्ष साल 2022 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसी तरह की पहल करते हुए हितधारकों के साथ बैठक कर एक कार्ययोजना तैयार की थी। इसमें साल 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को 300 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स नजरिये से देखें तो 11 लाख करोड़ डॉलर के वैश्विक उत्पादन मूल्य में उसकी हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है। इलेक्ट्रॉनिक्स जीवीसी में उसकी हिस्सेदारी थोड़ी बेहतर है और यह 2 फीसदी है।
निर्यात बढ़ा, नवंबर 25 तक 22.5 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद: दूसरी बात है कि इसमें कोई शक नहीं है कि इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ा है और यह चालू वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल से नवंबर तक 22.5 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है, जो बीते वित्त वर्ष 2024 की समान अवधि के मुकाबले 28 फीसदी का इजाफा होगा। यह अब वित्त वर्ष 2025 के पहले आठ महीनों में निर्यात होने वाली तीसरी सबसे बड़ी वस्तु है, जबकि वित्त वर्ष 2024 की समान अवधि में यह छठे स्थान पर थी। इसकी तुलना में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत के प्रतिद्वंद्वी काफी आगे हैं। मूल्य के लिहाज से चीन ने हमसे 37 गुना अधिक निर्यात किया है, जबकि वियतनाम ने 5.4 गुना, मलेशिया ने 4.3 गुना और यहां तक कि मेक्सिको ने भी भारत के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का 3.4 गुना ज्यादा निर्यात किया है।
पहले तो भारत सौ प्रतिशत इंपोर्ट करता था। चीन, दुबई और बैकॉक से जो भी आदमी आता था तो वह एलईडी आदि साथ लेकर आता था। भारत सरकार जो हाल ही में पीएलआई स्कीम लाई है, उसका बहुत पॉजिटिव फर्क आया है। मोबाइल इंडस्ट्री, एयरकंडीशन इंडस्ट्री में जो कभी सोचा नहीं गया था, वो अब हो रहा है। डाइकिन जैसी कंपनी भारत में अपनी कंप्रेशर इंडस्ट्री डाल रहा है। वर्तमान में ग्लोबल सिनेरियो ऐसा बन रहा है। पूरा यूरोप, अमरीका और अन्य देश चीन से अपनी निर्भरता समाप्त करना चाहते हैं। चीन से मुकाबले के लिए दुनियाभर में भारत ही मेजर अल्टरनेट है। भारत सरकार ने ऐसा कर रही है तो इसका काफी अच्छा फर्क आएगा और यह भारत के लिए अच्छा रहेगा।
– संजीव सुरोलिया, एमडी, इलेक्ट्रो प्लाजा, जयपुर
भारत का 2030 तक 500 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य न केवल महत्वाकांक्षी है, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और वैश्विक मुकाबले को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस दृष्टिकोण से, सरकार का उद्योग और विशेषज्ञ संगठनों के साथ मिलकर काम करना एक प्रभावी रणनीति है। इस योजना से 55-60 लाख नौकरियां पैदा होने की संभावना है। यह न केवल देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती देगा, बल्कि युवा पीढ़ी को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा। इसके लिए आवश्यक होगा कि कौशल विकास और प्रशिक्षण पर भी समानांतर फोकस किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के क्षेत्र में भारत की वर्तमान वैश्विक हिस्सेदारी सीमित है। इसे 6-7 प्रतिशत तक बढ़ाया जाना चाहिए।
– रजनीश सिंह, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, होप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, जयपुर
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