Tuesday, January 14, 2025 |
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भारत के डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ते कदम

by Business Remedies
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punit jain

भारत में डिजिटल क्रांति बहुत कम समय में लगातार बढ़ती जा रही है। डिजिटल पेमेंट टूल्स जैसे यूनिफाइड पैमेंट्स इंटरफेस के बढ़ते इस्तेमाल के कारण एटीएम की मांग में कमी आई है। लोग अब रोजमर्रा की खरीदारी से लेकर बड़ी ट्रांजेक्शन तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। देश में एटीएम की संख्या में पांच साल में पहली कमी दर्ज की गई है। पिछले दिनों संसद में भी जानकारी दी गई कि सितंबर,२०२४ के अंत तक एटीएम की संख्या घटकर 2,55,078 रह गई, जबकि एक साल पहले यह 2,57,940 थी। इस दौरान एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरावट 2.2 प्रतिशत तक रही, जहां एटीएम की संख्या घटकर 54,186 हो गई। महानगरों में भी 1.6 प्रतिशत की कमी आई और एटीएम की संख्या 67,224 पर आ गई। पिछले दिनों वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी लोकसभा में बताया कि सरकारी बैंकों ने एटीएम बंद करने के लिए कई कारण बताए हैं। इनमें बैंकों का एकीकरण, एटीएम का कम इस्तेमाल, व्यावसायिक लाभ की कमी और एटीएम का स्थानांतरण शामिल हैं। बैंकर्स का कहना है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन और यूपीआई के उभरने से नकदी का उपयोग कम हुआ है, जिससे एटीएम का संचालन अव्यावहारिक हो गया है। पिछले नौ वर्षों में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जन धन योजना, मोबाइल इंटरनेट और यूपीआई के प्रसार ने इस बदलाव को बढ़ावा दिया है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष, 2018-19 में जहां 535 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, वहीं 2023-24 में यह बढक़र 13,113 करोड़ हो गए। इस वित्त वर्ष (सितंबर तक) यूपीआई के जरिए 122 लाख करोड़ रुपए के 8,566 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन दर्ज हुए हैं। उपभोक्ता अब सब्जियों से लेकर ऑटो सवारी और महंगी खरीदारी तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। इस डिजिटल क्रांति ने भारत को नकदी से डिजिटल भुगतान की ओर तेजी से बढ़ाया है।



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