Friday, May 23, 2025 |
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तीसरे विश्व युद्ध का मंडराता खतरा

by Business Remedies
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punit jain

दुनिया में जिस तरह से आज के हालात बन रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। अब तक 2 विश्व युद्ध हो चुके हैं। पहला विश्व युद्ध 28 जुलाई, 1914 से 11 नवम्बर, 1918 तक चला और इसमें लगभग 9 करोड़ सैनिकों तथा 1.3 करोड़ नागरिकों की मृत्यु हुई थी। दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945 के बीच हुआ। मानव इतिहास के इस सबसे भयानक युद्ध में 70 देशों की जल, थल तथा वायु सेनाएं शामिल थीं। जिसमें मित्र देश ब्रिटेन, अमरीका, सोवियत संघ एवं फ्रांस आदि एक ओर तथा जर्मनी, इटली और जापान आदि देश दूसरी ओर थे। इस युद्ध में भी पहले विश्व युद्ध की भांति ही जान-माल की भारी तबाही हुई और दोनों पक्षों के लगभग 7 से साढ़े 8 करोड़ सैनिकों तथा आम नागरिकों की मौत हुई थी और इस युद्ध में मित्र देशों की विजय हुई थी। अब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के 79 वर्ष बाद तीसरा विश्व युद्ध होने की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि रूस ने परमाणु युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली अत्यंत घातक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल भी 21 नवम्बर को यूक्रेन पर दाग दी है। इसी तरह के खतरे को भांपते हुए ही 18 नवम्बर, 2024 को रियो-डी-जिनेरियो में विश्व के 20 प्रमुख देशों के नेताओं ने युद्ध ग्रस्त गाजा के लिए अधिक सहायता और पश्चिम एशिया तथा यूक्रेन में शत्रुता एवं युद्ध समाप्त करने का आह्वïान किया है। रूस के घनिष्ठï मित्र चीन के राष्टï्रपति जिनपिंग और ब्राजील के राष्टï्रपति लूला डी सिल्वा ने भी यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए आवाज उठाने की अपील की है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा है कि ऐसा लगता है कि हम तीसरे विश्व युद्ध के करीब हैं, अत: भगवान गौतम बुद्ध का दिखाया शांति का मार्ग ही स्थिरता का एकमात्र साधन है। आज दुनिया एक बड़ी समस्या का सामना कर रही है। यह ऐसा समय है जब हमें विश्व शांति की आकांक्षा करनी चाहिए। जहां मगध सम्राट अशोक ने कलिंगा के युद्ध के बाद अपराध बोध से ग्रस्त होकर हसा का परित्याग कर बौध धर्म ग्रहण कर लिया तथा अशोक ने अपनी पुत्री संघमित्रा तथा पुत्र महेंद्र को अहिंसा का प्रचार करने के लिए श्रीलंका भेजा था। गौतम बुद्ध का कहना था कि सबको अपने जैसा समझ कर न किसी को मारें और न मारने को प्रेरित करें। जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। आज के हालात में गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर चल कर विश्व पर मंडरा रहे इस संकट को टालने में सफलता मिल सकती है।



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