Wednesday, October 16, 2024 |
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भारत के खाद्य व्यय के घटकों में बदलाव  

by Business Remedies
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punit jain

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा प्रकाशित एक नए कार्यपत्र ‘भारत के खाद्य उपभोग में बदलाव और उसके नीतिगत निहितार्थ: घरेलू खपत व्यय सर्वेक्षण 2022-23 और 2011-12 का एक व्यापक विश्लेषण’ ने देश के खाद्य उपभोग संबंधी रुझानों के दिलचस्प पहलुओं पर प्रकाश डाला है।

घरेलू खपत व्यय सर्वेक्षण 2011-12 और 2022-23 के आंकड़ों की तुलना बताती है कि देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के ग्रामीण और शहरी इलाकों में घरेलू स्तर पर औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में महत्ववपूर्ण इजाफा हुआ है। वास्तव में ग्रामीण परिवारों के एमपीसीई में 164 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि शहरी इलाकों के परिवारों का एमपीसीई 146 फीसदी बढ़ा।

इसके अलावा औसत एमपीसीई में शहरी और ग्रामीण इलाकों के बीच का अंतर 13 फीसदी कम हुआ। इस संदर्भ में पर्चे ने खाद्य खपत रुझानों में बदलावों को अच्छी तरह दर्ज किया है। भारत जैसे विकासशील देश में यह घरेलू व्यय का बड़ा हिस्सा है।

आंकड़े दिखाते हैं कि खाद्य उत्पादों का कुल घरेलू व्यय ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में काफी कम हुआ है। पहली बार खाद्य क्षेत्र का औसत घरेलू व्यय परिवारों के समग्र मासिक व्यय के आधे से भी कम है। इससे संकेत मिलता है कि तमाम परिवारों की स्थिति में सुधार हुआ है। यह बात ऐंजल कर्व परिकल्पना के अनुरूप ही है जो यह मानती है कि किसी परिवार की आय बढऩे के साथ-साथ खाद्य पदार्थों पर होने वाला व्यय कम होता है।

एचसीईएस के आंकड़े न केवल भारतीयों के कुल व्यय में खाद्य उत्पादों की हिस्सेदारी में गिरावट की ओर संकेत करते हैं बल्कि वे यह भी बताते हैं कि खाद्य व्यय के घटकों में बदलाव आया है। अनाज से दूध और दुग्ध उत्पादों, ताजे फलों, अंडों, मछली और मांस की ओर।

ध्यान देने वाली बात यह है कि अनाजों पर होने वाले व्यय में कमी उन परिवारों में अधिक है जो आय वितरण के निचले 20 फीसदी में आते हैं। ऐसे ही रुझान प्रति व्यक्ति घरेलू स्तर पर विभिन्न खाद्य पदार्थों की वास्तविक मात्रा के लिए भी देखने को मिले। यह न केवल भोजन में विविधता की ओर संकेत करता है बल्कि इस बात को भी रेखांकित करता है कि सरकार के खाद्य सुरक्षा संबंधी प्रयास प्रभावी हैं, क्योंकि इसके चलते गरीबों और वंचित परिवारों को अपना बचत व्यय अनाज के बजाय अन्य खाद्य पदार्थों पर खर्च करने का अवसर मिला।



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