आज दुनिया में कैंसर दिनों दिन बढ़ रहा है। इसके रोकथाम के भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभी यह नाकाफी है। आज कैंसर दिवस है, यह दिन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद कैंसर से होने वाली बीमारियों और मौतों को कम करना है। इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस की थीम यूनाइटेड बाय यूनिक है, जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत, रोगी-केंद्रित देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका को परिभाषित करती है। यह प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कैंसर उपचार को अनुकूलित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होती हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं। वैश्विक स्तर पर, कैंसर मृत्यु दर का प्रमुख कारण है, जिसके कारण वर्ष,2020 में एक करोड़ से अधिक मौतें हुईं। भारत में वर्ष, 2022 में इसकी घटना दर 19 से 20 लाख दर्ज की गई थी। तम्बाकू का उपयोग, शराब का लंबे समय तक सेवन, अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें, शारीरिक व्यायाम की कमी और वायु प्रदूषण के संपर्क में आना सभी कैंसर के जोखिम कारक हैं। निम्न और मध्यम आय वाले देशों को कई पुरानी बीमारियों के कारण होने वाले कैंसर के जोखिम में एक अनूठी चुनौती का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इन देशों ने शिक्षा की कमी, देरी से निदान और किफायती उपचार तक कम पहुंच के कारण कैंसर का खराब पूर्वानुमान दिखाया है। विकासशील देशों में भी कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी के कारण निदान में देरी होती है। वर्ष, 2020 में रिपोर्ट की गई एक स्टडी भारत के चार प्रमुख केंद्रों में की गई थी, जहां कैंसर के अधिकांश मरीज पहली बार तभी इलाज करवाते हैं, जब वे अपने उन्नत चरणों में होते हैं। साक्षरता दर और कम आय कैंसर जागरूकता को बहुत प्रभावित करती है। हम यह कह सकते हैं कि भारतीय और वैश्विक आबादी में कैंसर की जांच, रोकथाम और उपचार के बारे में सामान्य जागरूकता कम है, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले लोगों में, जहां साक्षरता दर कम है, जिससे कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है और उचित शिक्षा के साथ इस कमी को दूर करने की तत्काल आवश्यकता है। विश्व कैंसर दिवस इस बात पर ध्यान दिलाता है कि कैंसर को रोकना, इसका समय पर पता लगाना और इसका इलाज समय पर होना महत्वपूर्ण है।
