Tuesday, January 14, 2025 |
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‘भारत की ग्रोथ स्टोरी को एनर्जी सेक्टर से मिल रही है ताकत’

by Business Remedies
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बिजऩेस रेमेडीज
जैसे-जैसे भारत विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, हमारे एनर्जी (ऊर्जा) के क्षेत्र में परिवर्तन एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है। साल 2003 में, भारत की प्रति व्यक्ति बिजली खपत 0.57 MWh (मेगावाट ऑवर) थी। 2023 तक, यह लगभग 1.4 MWh तक पहुंच गई थी, यानी 2 दशक में इसमें 245 फीसदी की ग्रोथ रही है। यह मोटे तौर पर भारत के प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ के साथ मेल खाता है, जो 2003 में लगभग 543 यूएस डॉलर से 2023 में लगभग 2500 यूएस डॉलर हो गया।
जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं विकसित होती हैं और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद बढ़ रहा है, बिजली की खपत भी बढ़ रही है। यह केवल अमेरिका, जापान या जर्मनी जैसे विकसित देशों के लिए ही नहीं बल्कि चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के लिए भी सच्चाई है। उदाहरण के लिए, चीन ने अपनी बिजली की खपत में 3.5 गुना बढ़ोतरी देखी क्योंकि इसकी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 2005 में 1800 डॉलर से बढक़र 2023 में 12,600 डॉलर हो गई। दक्षिण कोरिया की बिजली की खपत उसके प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में ग्रोथ के साथ-साथ बढ़ी, यानी ऐतिहासिक रूप से इसमें 3 गुना बढ़ोतरी हुई।
इनकम और एनर्जी की खपत के बीच इस कैजुअल लिंक का कारण बहुत आसान है। एनर्जी सभी आर्थिक गतिविधियों का आधार है, क्योंकि घरों, कमर्शियल उद्देश्य से बनाए गए परिसरों और इंडस्?ट्री के संचालन के लिए इसकी जरूरत होती है। जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ती है, वे अधिक प्रोडक्ट (उत्पाद) और सर्विसेज (सेवाएं) खरीदते हैं और कंजम्पशन बढ़ता है। जिससे घरों, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल उद्देश्यों के लिए मांग बढ़ती है। इसलिए, ऊर्जा का उत्पादन और खपत न सिर्फ आर्थिक विकास का संकेत देता है, बल्कि इस आर्थिक विकास को ताकत भी प्रदान करता है।
अगले 5 से 6 साल के दौरान भारत में डिमांड के जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्तमान में लगभग 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है और वित्त वर्ष 29-30 तक इसके लगभग 6.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढऩे की उम्मीद है। इस अवधि में देश की एनर्जी डिमांड की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ तालमेल बनाए रखने की उम्मीद है, जो 1.7 गुना बढक़र लगभग 2281 बिलियन यूनिट हो जाएगी।
(सोर्स : आईएमएफ, जेफरीज और इंटरनल रिसर्च। 31 अक्टूबर 2024 तक के आंकड़े (लेटेस्ट डाटा)
सरकारी पहल : पिछले 10 साल में, सरकार ने एनर्जी सेक्टर में कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं। इनमें एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन के लिए लाभकारी मूल्य निर्धारण, गैस प्राइसिंग या मूल्य निर्धारण में सुधार, विंडफाल टैक्स, रणनीतिक पूंजी आवंटन, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) के लिए समर्थन, ऑयल और रिफाइनिंग मार्जिन में स्थिरता, यूनिफाइड गैस परिवहन शुल्क और गैस इंफ्रास्ट्रक्चर में किए जाने वाले निवेश में बढ़ोतरी शामिल हैं। इन सभी उपायों ने निवेशकों के लिए एनर्जी सेक्टर को एक आकर्षक क्षेत्र बनाने में योगदान दिया है।
भारतीय एनर्जी सेक्टर में हो रहा बदलाव एनर्जी वैल्यू चेन में शामिल कंपनियों के लिए कई दशकों का व्यावसायिक अवसर पैदा कर रहा है। 2031-32 तक स्थापित क्षमता को वर्तमान 448 गीगा वाट (त्रङ्ख) से दोगुना करके 900 (GW) करने के लिए भारी निवेश किया जा रहा है, जिसके भीतर रिन्यूएबल एनर्जी का कुल हिस्सा 42 फीसदी से बढक़र करीब 66 फीसदी हो जाएगा। ग्रीन ट्रांजिशन की दिशा में आगे बढ़ते हुए, सोलर कैपेसिटी (सौर क्षमता) 2024 में 87 GW से 4 गुना बढक़र 2031-32 में 365 त्रङ्ख हो जाएगी। इसी तरह विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) के लिए स्थापित क्षमता 47 GW से बढक़र 122 GW हो जाएगी।
(सोर्स : भारत सरकार – प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी – पीएलआई, सेंटर ऑन ग्लोबल एनर्जी पॉलिसी – कोलंबिया विश्वविद्यालय, एनईपी – नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान, इनविटिबल पॉलिसी रिस्पांस\ 5 अगस्त 2024 तक के आंकड़े (लेटेस्ट आंकड़े)
केंद्र सरकार ने भी कई रियायतें पेश की हैं। इनमें शामिल हैं:
उच्च दक्षता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल के मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए 2.85 बिलियन अमेरीकी डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना।
एडवांस केमिकल सेल बैटरी स्टोरेज पर पीएलआई और चार गीगावाट घंटे की क्षमता वाले बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए 460 मिलियन अमेरीकी डॉलर तक की वायबिलिटी गैप फंडिंग।
इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन के लिए पीएलआई और अन्य प्रोत्साहन, उम्मीद है कि इससे 100 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश आकर्षित होगा।
ये मेगाट्रेंड्स और सरकारी प्रोत्साहन, तेल, गैस और कोयला निकालने, उत्पादन, ट्रांसमिशन, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, उपकरण और टेक्नोलॉजी सप्लायर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स में लगी अलग अलग तरह की कंपनियों के लिए निवेश अवसर प्रदान करते हैं। एनर्जी वैल्यू चेन में अलग अलग सब सेग्मेंट में बिजनेस के इन भारी अवसरों ने इस उभरती स्ट्रक्चरल ग्रोथ स्टोरी में भाग लेने की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिए कई विकल्प पैदा किए हैं। आज, एनर्जी सेक्टर में शेयरों की एक बड़ी दुनिया है, जिसमें निफ्टी 500 शेयरों में से लगभग एक तिहाई कुल 19 अलग अलग सब-सेक्टर्स में एनर्जी वैल्यू चेन से जुड़े हैं।
इसके अलावा, इन एनर्जी थीम वाले स्टॉक ने पिछले 1, 3, 5, 7 और 10 सालों में निफ्टी 500 टीआरआई से बेहतर रिटर्न दिया है। बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्यूचुअल फंड द्वारा किए गए रिसर्च से पता चलता है कि लगातार बेहतर प्रदर्शन के बावजूद, निफ्टी एनर्जी टीआरआई औसत निफ्टी 500 टीआरआई स्टॉक की तुलना में बहुत लो प्राइस टू बुक और प्राइस टू अर्निंग रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है। इससे पता चलता है कि ये स्टॉक निवेश के लिए अपेक्षाकृत बेहतर वैल्यू और हाई सेफ्टी मार्जिन प्रदान करते हैं, खासकर जब कोई यह मानता है कि निफ्टी एनर्जी टीआरआई स्टॉक में उनके निफ्टी 500 औसत समकक्ष की तुलना में प्रति शेयर एक साल की अर्निंग ग्रोथ बहुत अधिक है।
संजय चावला, चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर इक्विटी, Baroda BNP Paribas Esset Managment India Private Limited



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