Tuesday, January 14, 2025 |
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डॉलर के मुकाबले रुपए का गिरना भारत के लिए चिंता का विषय

by Business Remedies
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punit jain

डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तरों पर फिसल चुका है। किसी भी देश की मुद्रा में अन्तरराष्ट्रीय बाजार में जब गिरावट आती है, तो मोटे तौर पर उसे उस देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति से परखा जाता है। भारत की मुद्रा रुपए का भाव डॉलर के मुकाबले बहुत नीचे 85 रुपए के पार चला गया है, जो बहुत ही चिन्ता की बात है। डॉलर के मुकाबले रुपए का गिरना बता रहा है कि हमारे आयात व निर्यात कारोबार की स्थिति क्या है? भारत ऐसा देश है जो अधिक आयात करता है और इसका निर्यात उसके अनुपात में बहुत कम रहता है। इसकी वजह से भारत का वाणिज्य घाटा बढऩे की तरफ रहता है। ऐसी सूरत में भारत में डॉलर की मांग अधिक रहती है, जिससे रुपया सस्ता होता जाता है। इसके साथ ही राजनीतिक स्तर पर जिस भी देश में अस्थिरता रहती है, उसकी मुद्रा डांवाडोल रहती है। मगर भारत में राजनीतिक स्थिरता को कभी खतरा नहीं रहा और प्रत्येक पार्टी की सरकार में यह स्थिरता इस वजह से बनी रही, क्योंकि भारत का लोकतंत्र ऐसी अनूठी व्यवस्था है जिसके तहत सरकारों का बदला जाना बहुत सामान्य तरीके से होता है। हमारी आर्थिक नीतियां भी 1991 के बाद से मोटे तौर पर एक समान रही हैं। वर्ष,1991 से भारत बाजार मूलक अर्थव्यवस्था के ढांचे को अपनाए हुए है। ये नीतियां स्व. नरसिम्हा राव की सरकार से लेकर वर्तमान मोदी सरकार तक में जारी हैं। जहां रुपए में गिरावट से आयातकों, विदेशी शिक्षा के लिए जाने वाले छात्रों और कंपनियों को नुकसान होगा। आयातकों को अधिक भुगतान करना पड़ेगा, छात्रों का खर्च बढ़ जाएगा और कंपनियों के लिए विदेशी कर्ज महंगा हो जाएगा। हालांकि, निर्यातकों और भारतीय आईटी कंपनियों को इसका लाभ मिलेगा, जिससे उनके शेयरों में तेजी आ सकती है। डालर को मजबूत करने के लिए सोने का अवैध कारोबार रोकना बहुत जरूरी है। क्योंकि इसके लिए डालर की हवाला दर पर इस मुद्रा को खरीदा जाता है। दूसरे हमें यह भी देखना होगा अर्थव्यवस्था कितनी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है? कोरोना संकट के बाद इन आर्थिक मानकों में कितना सुधार हुआ है और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की हालत क्या है। मगर डालर जिस गति से नीचे गिर रहा है तो इसका सन्देश सावधान करने वाला ही है। डॉलर की कीमत जो अफगानिस्तान की मुद्रा में है, भारत उस श्रेणी में खड़ा नहीं हो सकता क्योंकि यह दुनिया का पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।



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