जब आप यह लेख पढ़ रहे होंगे, तब तक ट्रंप को शपथ लिए हुए लगभग 10-12 घंटे बीत चुके होंगे, और उन्होंने उम्मीद के अनुसार, पहले ही दिन 100 से अधिक महत्वपूर्ण फैसलों पर हस्ताक्षर कर दिए होंगे।
इस बात की आशंका व्यक्त की जा रही है कि ट्रंप प्रशासन भारत से होने वाले आयात पर कड़े नियम लागू कर सकता है या अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है। हालांकि, अपने अनुभव के आधार पर, मैं इन आशंकाओं को निराधार मानता हूं। भारत अब एक विशाल अर्थव्यवस्था बन चुका है, जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी स्थान की ओर बढ़ रहा है।
इसके अलावा, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल लगभग पूरा कर चुके हैं। मोदी और ट्रंप के पास अगले चार सालों में कई महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर है। इन दोनों की भागीदारी से अगले चार वर्षों में ऐसे कार्य होंगे, जिनसे पूरा विश्व हैरान रह जाएगा।
आने वाले दिनों में भारतीय निवेशकों के लिए सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि बजट, रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, और दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम बाजार में अस्थिरता ला सकते हैं।
भारत की वैश्विक स्थिति
भारत अब केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं है, बल्कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरे स्थान की ओर अग्रसर है। ऐसे में ट्रंप प्रशासन भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता। भारत का बढ़ता बाजार और युवा जनसंख्या इसे वैश्विक व्यापार के लिए अपरिहार्य बनाते हैं।
मोदी और ट्रंप की जुगलबंदी
पिछले 10 वर्षों में मोदी ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समस्याओं, जैसे आतंकवाद, अवैध आव्रजन, ग्लोबल वार्मिंग, और अन्य विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। इन विचारों को ट्रंप के साथ मिलकर कार्यरूप में बदला जा सकता है।
जो लोग मानते हैं कि ॥१क्च वीजा पर रोक लगाई जा सकती है, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। ट्रंप प्रशासन समझता है कि भारतीय लोग मेहनती, परिणाम-उन्मुख और परिस्थितियों के अनुसार काम करने में माहिर होते हैं। यदि वीजा संबंधी कोई समस्या खड़ी की जाती है, तो अमेरिकी कंपनियों का प्रदर्शन प्रभावित होगा, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी और लाभप्रदता कम हो जाएगी।
आयात और व्यापार पर विचार
कुछ लोगों को लगता है कि ट्रंप प्रशासन भारत से आयात पर प्रतिबंध लगाएगा या शुल्क बढ़ाएगा, लेकिन ऐसा होने पर इसका लाभ सीधे चीन को मिलेगा। ट्रंप प्रशासन ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे भारत को नुकसान हो और चीन को फायदा मिले। ट्रंप भारत को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र मानते हैं और मोदी को अपना भरोसेमंद साथी।
भारतीय शेयर बाजार: आगामी चुनौतियां और संभावनाएं
आने वाले कुछ हफ्ते भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। आइए उन प्रमुख घटनाओं पर नजर डालते हैं, जो बाजार की दिशा तय करेंगी।
1. केंद्रीय बजट (1 फरवरी): 1 फरवरी को शनिवार के दिन केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि दशकों बाद बजट शनिवार को पेश होगा। इस बजट से बाजार को बड़ी उम्मीदें हैं। निवेशकों को इस दिन बाजार में तेज उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
2.रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति (6-7 फरवरी): फरवरी के पहले सप्ताह में भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। ब्याज दरों में किसी भी प्रकार के बदलाव की संभावना नहीं है। अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो यह बाजार में सकारात्मकता ला सकता है।
3. दिल्ली विधानसभा चुनाव (8 फरवरी): 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। हालांकि इसका सीधा प्रभाव बाजार पर कम होगा, लेकिन चुनावी नतीजों से निवेशकों का मनोबल प्रभावित हो सकता है।
4.बैंकिंग क्षेत्र में सुधार: भारतीय बैंकों की स्थिति में सुधार हो रहा है। गैर-निष्पादित संपत्तियां (हृक्क्र) कम हो रही हैं, और बैंकों की बैलेंस शीट पहले से अधिक साफ-सुथरी है। इससे बैंकिंग सेक्टर में सकारात्मकता आएगी और निवेशकों को लाभ मिलेगा।
निवेशकों को सुझाव
निवेशकों को अफवाहों से बचना चाहिए, और ठोस जानकारी के आधार पर अपने फैसले लेने चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत है, और यह निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। बाजार में इस वर्ष 15-20त्न तक का लाभ संभव है, और कुछ विशेष क्षेत्रों में यह लाभ 50त्न तक भी पहुंच सकता है।
सुनील दत्त गोयल, महानिदेशक, इम्पीरियल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जयपुर, राजस्थान
