बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने कहा है कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं है और इन्हें अब विदेशों में तरजीह मिल रही है। विदेशी खरीदार अब चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत के रूप में भारत को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने कहा कि इसको देखते हुए वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं का निर्यात पांच से आठ तक प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा, ‘‘विदेशों से ऑर्डर की स्थिति बहुत अच्छी है। इंजीनियरिंग, चमड़ा, कपड़ा, रसायन जैसे क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं।
दूसरी बात, विदेशी खरीदार अब चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत के रूप में भारत को तरजीह दे रहे हैं। इन सबको देखते हुए चालू वित्त वर्ष में निर्यात में पांच से आठ प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।’’ बीते वित्त वर्ष 2023-24 में कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा। इसमें वस्तु निर्यात तीन प्रतिशत घटकर 437.1 अरब डॉलर था। वहीं 2022-23 में यह क्रमश: 776.40 और 451.07 अरब डॉलर था। एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘‘गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं है। भारतीय उत्पादों को विदेशों में तरजीह मिल रही है। कपड़ा, कालीन, चमड़ा, रसायन जैसे उत्पादों के जो भी आयातक हैं, आपूर्ति के एक स्रोत के रूप में भारत को रखना चाहते हैं।’’ चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बैंक कर्ज में कमी, शिपिंग लाइन की समस्या और ब्याज छूट योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग जैसे कुछ मुद्दों का जिक्र किया। बैंक कर्ज का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘निर्यात ऋण वृद्धि का देश के बढ़ते निर्यात के साथ तालमेल नहीं है। 2021-22 और 2023-24 के बीच रुपये के लिहाज से निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मार्च, 2024 में बकाया ऋण, मार्च, 2022 की तुलना में पांच प्रतिशत कम हो गया है।’’ इस बारे में फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘बैंक से कर्ज आसानी से नहीं मिल रहा। बैंक बिना किसी गारंटी के कर्ज नहीं दे रहे हैं। इसके समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है।’’ शिपिंग लाइन के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘निर्यात के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक शिपिंग लाइन की समस्या है। कई जहाज कई ट्रांसशिपमेंट बंदरगाहों पर चल रही भीड़ के कारण भारतीय बंदरगाहों पर नहीं आ रहे हैं। इससे आयातकों को समय पर सामान नहीं पहुंच रहा।’’
भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं, विदेशी बाजारों में मिल रही है तरजीह : फियो
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