Tuesday, January 14, 2025 |
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Narayana Hospital ने एक जटिल केस का सफलतापूर्वक उपचार कर एक और उपलब्धि अपने नाम की

नई उम्मीद, नया जीवन -ऑर्बिटल एथरेक्टोमी एंजिओप्लास्टी ने बदली जिंदगी

by Business Remedies
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बिजऩेस रेमेडीज/जयपुर
Narayana Hospital जयपुर ने एक जटिल केस का सफलतापूर्वक उपचार कर एक और उपलब्धि अपने नाम की है। यह केस डॉ. देवेन्द्र श्रीमाल और उनकी कैथ लैब टीम ने एडवांस्ड तकनीक से सफलतापूर्वक पूर्ण किया। इस उपचार के लिए टीम ने पहली बार आईवीयूएस-गाइडेड ऑर्बिटल एथरेक्टोमी तकनीक का इस्तेमाल किया।
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर , डॉ. देवेन्द्र श्रीमाल ने कहा, कि यह केस बेहद ही चुनौतीपूर्ण था। इसमें हमने एक नई थेरेपी का उपयोग किया जिसमे एंजियोप्लास्टी से पहले नस के अंदर के कैल्शियम ब्लॉक को निकाला जाता है, जिन मरीजों की नसों में ऊपर से लेकर नीचे तक कैल्शियम जमा होता है जिसे मेडिकल भाषा में कैल्सिफ़ाइड वेसल्स ((calcified vessels) कहा जाता है, इसमें सामान्य एंजियोप्लास्टी के द्वारा उपचार करना संभव नहीं होता है ऐसे में यह नई तकनीक मरीज को काफी राहत दे सकती है। इस केस में मरीज की स्थिति को स्थिर होने के बाद उन्हें तीन दिन के भीतर हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी।
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के क्लिनिकल डायरेक्टर, डॉ. प्रदीप कुमार गोयल ने कहा, हमारी प्रतिबद्धता चिकित्सा प्रक्रिया में उपलब्धियों से कई ज्यादा मरीजों के लिए समर्पित रहना है। नियमित फॉलो-अप, प्रोसीजर के बाद की देखभाल और निरंतर सहायता हमारे उपचार प्रोटोकॉल का महत्वपूर्ण अंग हैं। हम सिर्फ मरीज का इलाज नहीं करते; हम व्यक्ति की देखभाल भी करते हैं।
62 वर्षीय राम मिश्रा (परिवर्तित नाम ), जो गुर्दे की गंभीर बीमारी और जटिल हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे, इस परिस्थिति में उनकी बायपास सर्जरी करना काफी जोखिम भरा था। मरीज को छाती और बाएं हाथ में लगातार दर्द की शिकायत रहती थी। जांच में मरीज़ की लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी में मेजर ब्लॉक सामने आया, एवं साथ ही हृदय को रक्त देने वाली तीनों प्रमुख धमनियां (टीवीडी) में कैल्शियम जमने के कारण गंभीर ब्लॉकेज पाए गए। मरीज की हालत देखते हुए डॉ एवं उनकी टीम द्वारा ऑर्बिटल एथरेक्टोमी एंजिओप्लास्टी करने का निर्णय लिया गया जो कि मरीज के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होती। पहले इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) से कोरोनरी आर्टरीज में मौजूद कैल्सिफाइड प्लाक का विश्लेषण किया गया। फिर हाई-स्पीड गाइडेड वायर की मदद से ब्लॉकेज को हटाकर आर्टरी को खोला गया और खून के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए स्टेंट लगाया गया।



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