भारत का विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं नियामक ढांचे के बावजूद कोझीकोड में एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना जैसी बार-बार होने वाली घटनाएं विमानन सुरक्षा में प्रणालीगत चुनौतियों को उजागर करती है। सिंगापुर एयरलाइंस ने ताइवान दुर्घटना के बाद पायलट प्रशिक्षण को संशोधित किया ताकि इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। चालक दल की ड्यूटी सीमा के लिए वैश्विक मानकों को लागू करें और बिना किसी समझौते के अनुपालन को लागू करें। पारदर्शिता और सीखने को सुनिश्चित करने के लिए दुर्घटना की जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना करें। अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बिठाने और यात्रियों का भरोसा सुनिश्चित करने के लिए इन मुद्दों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। चिंतनीय स्थिति यह है कि अभी चाहे इंडिगो, स्पाइसजैट और गोएयर जैसी प्राइवेट कंपनियां हों या एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनी, लगभग सभी एयरलाइंस वित्तीय मोर्चे पर लगातार संघर्ष कर रही हैं। बोइंग 737 मैक्स विमानों को परिचालन से हटा दिए जाने के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। भारतीय विमानन बाजार में विमान किराए तेजी से बढ़ रहे हैं। इस कारण मध्यम वर्ग के यात्री जो इकोनॉमी क्लास में यात्रा करते थे, वे अब ट्रेन से यात्रा को तरजीह दे रहे हैं। भारत का विमानन बाजार वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढऩे वाले बाजारों में से एक है, जिसमें हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ रही है और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे का विस्तार हो रहा है। जहां प्रमुख भारतीय वाहकों ने सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के लिए उन्नत सुरक्षा सुविधाओं वाले आधुनिक विमानों को अपनाते हुए अपने बेड़े का विस्तार किया है। इंडिगो एयरलाइंस एयरबस ए320 नियो का संचालन करती है, जो ईंधन दक्षता और सुरक्षा उन्नयन के लिए जानी जाती है। वर्ष,2016 की राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति विकास, क्षेत्रीय संपर्क और विमानन बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। उड़ान योजना ने सब्सिडी और प्रोत्साहन के माध्यम से क्षेत्रीय हवाई यात्रा को सुलभ बनाया है।
भारतीय विमानन क्षेत्र की सुधारों के बावजूद बढ़ती चुनौतियां
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