फेस्टिव सीजन में एक बार फिर आम जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है। खासकर खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण। सितंबर में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के चलते भारत का पाम ऑयल आयात एक महीने पहले की तुलना में लगभग एक तिहाई कम हो गया है। यह आयात छह महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात दस महीनों में सबसे कम रहा। अब खाने के तेल की कीमत बढऩी शुरू हो गई है। इसी वजह से भारत का सितंबर में फूड ऑइल आयात गिर गया है। सितंबर में भारत का पाम ऑइल आयात एक महीने पहले की तुलना में लगभग एक तिहाई कम हो गया है। यह इसलिए क्योंकि इसकी कीमत ज्यादा थी। यह आयात छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारत पाम ऑइल इंडोनेशिया और मलेशिया से सबसे ज्यादा खरीदता है। भारत की ओर से कम खरीदारी के चलते इन देशों में फूड ऑइल का स्टॉक बढ़ सकता है। इससे बेंचमार्क वायदा पर असर पड़ सकता है। भारत में अधिक स्टॉक और पाम ऑइल की कीमतों में तेजी ने इसकी खरीदारी कम हुई है। कीमत में तेजी के चलते सोया तेल का आयात 15.4 फीसदी घटकर 384,382 टन रह गया। वहीं सूरजमुखी तेल का आयात 46.2 फीसदी घटकर 152,803 टन रह गया, जो पिछले दस महीनों में सबसे कम है। वनस्पति तेल के कुल आयात में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और यह 1.1 मिलियन टन रह गया है। एसईए के आंकड़ों के अनुसार आयात में कमी के कारण देश में वनस्पति तेल का स्टॉक एक महीने पहले के 2.93 मिलियन टन से घटकर 2.45 मिलियन टन रह गया है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि वह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात करता है। खुदरा बाजार में तेल की कीमत में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सरसों के तेल में देखी जा रही है। सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कीमत में भी पिछले कुछ समय से तेजी देखी गई है। जानकारों के मुताबिक अगले कुछ समय में तेल की कीमत में तेजी देखी जा सकती है। वहीं दूसरी ओर त्योहारी सीजन के कारण देश में खाद्य तेल की मांग में सुधार हो रहा है। इससे अक्टूबर में पाम तेल का आयात 7 लाख टन से अधिक हो सकता है।
फेस्टिव सीजन में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से आम जनता पर महंगाई की मार
38