बिजऩेस रेमेडीज
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई-) ने हमारे रोजमर्रा के भुगतान के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। चाहे स्थानीय विक्रेताओं से किराना सामान या सब्जियां खरीदनी हो, खाने का ऑर्डर देना हो या फिर चाट की दुकान से पानी-पूरी और भेल खाना हो, नकदी (कैश) या कार्ड ले जाना अब पुरानी बात हो गई है। यूपीआई ने मोबाइल डिवाइस के जरिये सिर्फ एक QR Code स्कैन कर या मोबाइल नंबर डालकर तेज और सहज भुगतान को सक्षम बना दिया है। यह कुशल भुगतान समाधान देता है।
तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) फ्रेमवर्क के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय समावेशन को और बढ़ाने के लिए 2016 में यूपीआई की शुरुआत की थी। यूपीआई ग्राहकों और व्यापारियों के बीच सुरक्षित एवं सुविधाजनक छोटे मूल्य के लेनदेन की सुविधा देता है। साथ ही, संवेदनशील बैंक खाते के विवरण की जानकारी दिए बिना पीयर-टु-पीयर भुगतान भी करता है। हर उपयोगकर्ता को एक यूनिक यूपीआई आईडी दी जाती है, जो उसके बैंक खाते से जुड़ा एक आभासी भुगतान पता है। यह क्यूआर कोड स्कैनिंग या सीधे यूपीआई आईडी के जरिये निर्बाध लेनदेन सक्षम बनाता है।
स्मार्टफोन से परे यूपीआई : यूपीआई स्मार्टफोन के जरिये व्यापक रूप से सुलभ है। लेकिन, इसकी पहुंच इससे भी आगे तक फैली हुई है। वित्तीय समावेशन की जरूरत को समझते हुए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई-) ने यूपीआई 123पे लॉन्च किया है। यह अभिनव समाधान उपयोगकर्ताओं को फीचर फोन पर भी यूपीआई के इस्तेमाल की अनुमति देता है।
यूपीआई 123पे के जरिये उपयोगकर्ता सिर्फ एक खास नंबर डायल कर और वॉयस निर्देशों का पालन कर फीचर फोन के माध्यम से लेनदेन शुरू कर सकते हैं। इससे स्मार्टफोन रखने की बाध्यता खत्म हो जाती है। साथ ही, इससे देशभर में व्यापक आबादी के लिए डिजिटल भुगतान सुलभ हो जाता है।
क्रेडिट कार्ड लिंक करने की सुविधा : यूपीआई की क्षमता को और बढ़ाते हुए आरबीआई ने 2022 में उपयोगकर्ताओं को अपने क्रेडिट कार्ड को यूपीआई प्लेटफॉर्म से लिंक करने की अनुमति दी। इसके कई लाभ हैं
निर्बाध भुगतान : उपयोगकर्ता बैंक खाते से जुड़ी जानकारी उजागर किए बिना भुगतान कर सकते हैं।
क्रेडिट यूटिलाइजेशन : उपयोगकर्ता रोजमर्रा के लेनदेन के लिए अपनी क्रेडिट लिमिट का उपयोग कर सकते हैं। यूपीआई कुछ समय के लिए नकदी की कमी का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए एक सुविधाजनक समाधान देता है।
इस एकीकरण ने यूपीआई के विस्तार को बढ़ावा दिया है। इससे यह भारत में सबसे तेजी से बढऩे वाली भुगतान प्रणाली बन गई है, जिसके जरिये हर महीने करीब तीन अरब से अधिक लेनदेन होते हैं।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि ‘क्रेडिट कार्ड ऑन यूपीआई’ के करीब 75 फीसदी लेनदेन छोटे व्यापारियों के यहां होते हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि ‘के्रडिट कार्ड ऑन यूपीआई’ को अपनाने वाले युवा वयस्क, विशेष रूप से 40 वर्ष से कम आयु के लोग सबसे अधिक हैं।
‘क्रेडिट कार्ड ऑन यूपीआई’ भुगतान का सबसे पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा है। इसके जरिये हर महीने औसतन 21 लेनदेन होते हैं। ये आंकड़े इस भुगतान प्रणाली के माध्यम से वित्तीय समावेशन की क्षमता का उल्लेख करते हैं।
यूपीआई लेनदेन के लिए अंतर्निहित भुगतान नेटवर्क रुपे भारत के डिजिटल भुगतान तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी हिस्सेदारी बढक़र 30 फीसदी पहुंच गई है। इसके विस्तार को देखते हुए हाल ही में जारी विनियामक आदेश के तहत कार्ड जारी करने वालों के लिए क्रह्वक्कड्ड4 को एक विकल्प के रूप में पेश करना जरूरी बनाया गया है। इससे क्रेडिट कार्ड क्षेत्र में क्रह्वक्कड्ड4 और यूपीआई के विस्तार का मार्ग प्रशस्त होता है।
नकदी पर निर्भरता कम करना और वित्तीय समावेशन बढ़ाना : इस सरल और सुविधाजनक भुगतान प्रणाली ने नकदी पर निर्भर कई व्यक्तियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में ला दिया है। खरीदारी के लिए लेनदेन के अलावा वे आसानी से पैसे भेज और प्राप्त भी कर सकते हैं। कई व्यक्तियों के लिए यह एक बड़ी सुविधा है, जो पैसे निकालने के लिए बैंकों और एटीएम के चक्कर लगाते हैं। थर्ड पार्टी एप्लिकेशन के माध्यम से बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोडऩे का मतलब इन व्यक्तियों के लिए आसान कर्ज मुहैया कराना था। इसके अतिरिक्त, क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोडऩे से छोटे व्यापारियों और व्यक्तियों को अल्पकालिक नकदी की समस्याओं के समाधान में मदद मिलती है। इससे वे साहूकारों से महंगे ब्याज पर कर्ज लेने से बच जाते हैं। समय के साथ, यह उन्हें बचत, निवेश और बीमा उत्पादों से भी परिचित कराता है, जिससे उनका वित्तीय आत्मविश्वास एवं समावेशन और बढ़ जाता है।
अपने उत्पादों या सेवाओं के लिए भुगतान के इस तरीके को स्वीकार करने से छोटे व्यापारियों को भी लाभ होगा। ऐसे उद्यमी अक्सर नकदी में लेनदेन करते हैं और उचित बैंकिंग चैनलों से बचते हैं। बैंक के साथ मजबूत क्रेडिट रिकॉर्ड बनाने से ऐसे व्यक्तियों को सस्ती दर पर आसानी से बिजनेस लोन प्राप्त करने में मदद मिलती है।
ऐसे प्रयासों से व्यापारी और ग्राहक दोनों ही निवेश करना या बीमा करना शुरू कर देंगे क्योंकि वे ऑनलाइन लेनदेन करने और उत्पाद खरीदने में अधिक सहज हो जाते हैं। जब कोई व्यक्ति बैंकों जैसी विनियमित संस्थाओं के साथ लेनदेन करता है तो किसी भी शिकायत को प्रभावी ढंग से निपटाया जा सकता है। कहने की जरूरत नहीं है कि बैंकिंग तंत्र के जरिये ये सभी वित्तीय गतिविधियां आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा देंगी। इसके अलावा, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के एकीकरण से लोगों के वित्तीय जीवन में धीरे-धीरे प्रगतिशील बदलाव आएगा। अन्यथा, इसके लिए भारी निवेश और नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत होती।
मयंक मारकंडे, एयू 0101 डिजिटल बैंक के प्रमुख, एयू स्मॉल फाईनेंस बैंक