Saturday, December 13, 2025 |
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चीन की अर्थव्यवस्था में जापान की तरह ठहराव आने की आशंका

by Business Remedies
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पूरी दुनिया महंगाई से त्रस्त है, लेकिन चीन में उल्टी गंगा बह रही है। देश में पिछले कई महीनों से चली आ रही डिफ्लेशन की स्थिति और गहरा गई है। देश में जनवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में 0.8 फीसदी की गिरावट आई है। यह सितंबर,2009 के बाद सबसे बड़ी मंथली गिरावट है। लगातार चौथे महीने देश में गुड्स एंड सर्विसेज की कीमत में गिरावट आई है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में गिरावट को डिफ्लेशन कहते हैं। यह इनफ्लेशन से उल्टी स्थिति है। आमतौर पर अर्थव्यवस्था में फंड की सप्लाई और क्रेडिट में गिरावट के कारण ऐसी स्थिति पैदा होती है। चीन में लोग खर्च करने के बचाय पैसा बचाने में लगे हैं। इससे चीन की अर्थव्यवस्था में जापान की तरह ठहराव आने की आशंका जताई जा रही है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन पिछले कुछ समय से उसे कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। बेरोजगारी चरम पर है, रियल एस्टेट कई महीनों से संकट से जूझ रहा है, विदेशी कंपनियां और निवेशक चीन से निकल रहे हैं, एक्सपोर्ट गिर रहा है और अमेरिका का साथ तनाव बना हुआ है। माना जा रहा है कि रियल सेक्टर संकट देर-सबेर पूरी अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले सकता है। सरकार ने अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कई उपाय किए हैं लेकिन अब तक उसे सफलता नहीं मिली है। यह कारण है कि अर्थव्यवस्था में लोगों का भरोसा भी कायम नहीं हो पा रहा है और वे खर्च करने के बजाय बचत करने में लगे हैं। चीन के हालात देखकर लोगों को जापान की याद आ रही है। एक जमाने में जापान की अर्थव्यवस्था रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही थी और माना जा रहा था कि अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। लेकिन 1990 के दशक में जापान की अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया। हालांकि तब तक जापान हाई-इनकम वाले देशों की श्रेणी में पहुंच चुका था और अमेरिका के लेवल के करीब था। आज चीन के हालात भी कमोबेश वैसे ही हैं। अंतर इतना है कि चीन अब तक मिडल इनकम पॉइंट से थोड़ा ही ऊपर पहुंचा है। देश की इकॉनमी में सुस्ती के कई कारण माने जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण रियल एस्टेट सेक्टर का क्राइसिस है। साथ ही निवेश और खपत में असंतुलन, सरकारी कर्ज में बेतहाशा बढ़ोतरी और समाज एवं व्यवसाय पर सरकार का कड़ा कंट्रोल भी इसके लिए जिम्मेदार है। चीन का वर्कफोर्स और कंज्यूमर बेस सिकुड़ रहा है, जबकि रिटायर लोगों की संख्या बढ़ रही है। चीन की समस्याएं जापान से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं।



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