Monday, January 13, 2025 |
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NMDC की छत्तीसगढ़ में स्वरोगार योजना: कोंडागांव में ग्रामीणों को बना रही है स्वावलंबी और सक्षम

by Business Remedies
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बिजऩेस रेमेडीज/
कोंडागांव, छत्तीसगढ़
भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी NMDC Limited की ओर से संचालित स्वरोजगार योजना के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की साझेदारी से शुरू हुई इस बेहद लाभकारी योजना से ग्रामीणों को स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता मिल रही है जिससे वे स्वावलंबी और सक्षम हो रहे हैं। समाज कल्याण की दिशा में इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता : देश के सबसे पिछड़े एवं दूरदराज के इलाकों में शुमार छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में बसा कोंडागांव लम्बे समय से बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्या से जूझता रहा है। क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए एनएमडीसी लिमिटेड ने अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (ष्टस्क्र) के तहत इस इलाके के नौजवानों और महिलाओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया। कंपनी ने स्वरोजगार योजना के तहत क्षेत्र के युवाओं एवं महिलाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए ?रूरी कौशल और संसाधन मुहैया कराना आरंभ किया। एक करोड़ के आरंभिक बजट से शुरू हुई योजना के पहले चरण में 40 लाख रुपये की पहली किश्त जारी की गयी। प्रशासन द्वारा चयनित 40 लोगों को एक-एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। उस राशि से लाभान्वितों ने डेयरी फार्मिंग, चाय की दुकान, मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानें जैसे उद्यम आरंभ किये। नतीजा सामने है। युवक और महिलाएं अपने परिवेश से बाहर निकले बगैर घर से ही प्रतिमाह 15,000 से रु 30,000 महीना कमाने लगी हैं। एनएमडीसी के इन प्रयासों से आदिवासी बहुल इलाके में निश्चित तौर पर नई रौशनी का संचार हुआ है।
कोंडागांव के लिए गेम-चेंजर योजना : एनएमडीसी लिमिटेड की स्वरोजगार योजना के कार्यान्वयन से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं- ‘कोंडागांव के लिए ये पहल गेम-चेंजर साबित होगी। इससे न सिर्फ क्षेत्र के लोगों को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि युवाओं और महिलाओं को अपनी क्षमता के मुताबिक कौशल विकास का अवसर मिल रहा है। अब वे अपनी क्षमता को बढ़ाकर तरक्की की रफ्तार में शामिल हो सकेंगे। क्षेत्र में सफलता की ऐसी कई कहानियां दिखने लगी हैं।’
बबीता सरकार की बदली दुनिया : कोंडागांव के फरसगांव ब्लॉक में जुगानी कैंप गांव में रहती हैं बबीता सरकार। बहुत दिन नहीं हुए जब बबीता दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना गुजर-बसर करती थीं। बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे। अब वे गर्व से बताती हैं कि कैसे एनएमडीसी ने उनके जीवन में बदलाव लाया- ‘एनएमडीसी स्वरोजगार योजना के तहत मिली 1 लाख रुपये की सहायता से उन्होंने दो गाय खरीदी और घर से ही डेयरी व्यवसाय शुरू किया। आज वो प्रत्येक महीने 20,000 से 25, 000 रुपये कमा लेती हैं। साथ ही अपनी बेटियों के उच्च शिक्षा लेने में सपोर्ट कर पा रही हैं’। बोलते-बोलते बबीता की आंखों में आंसू आ जाते हैं, जब वो कहती हैं कि एक समय था जब उनके लिए यह सिर्फ एक सपना था। बबीता के जीवन में आए बदलाव की कहानी बताती है कि कैसे यह योजना अनेक परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई जो गरीबी के जाल से बाहर निकलने और सम्मान जनक जीवन जीने का आधार साबित हुई।
लक्ष्मी निषाद की रोजाना आमदनी 8 सौ से 12 सौ : प्रोग्राम की एक और लाभार्थी लक्ष्मी निषाद, जो बड़ेराजपुर गांव में स्ट्रीट वेंडर हैं। एनएमडीसी स्वरोजगार योजना की मदद से उन्होंने लोकल मार्केट में स्नैक्स और चाय की स्टॉल लगाई। अब ब?ेराजपुर मार्केट में उनकी अपनी चाय-पकौड़े की दुकान है। कहती हैं अब वे रोजाना 800 से 1200 रुपये तक कमा लेती हैं। एक ग्राहक को चाय देते हुए लक्ष्मी मुस्कुराते हुए कहती हैं- ‘मैने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी अपना काम करूंगी। आज मुझे अपने आप पर गर्व है। एनएमडीसी से मिले सहयोग ने मेरे जीवन को पूरी तरह से बदल डाला है।’
कोंडागांव में दिख रहा है योजना का असर : स्वरोजगार प्रोग्राम का प्रभाव कोंडागांव में साफ-साफ दिखाई देता है। बड़ेराजपुर से तुलेस्वर नेवरा ने एनएमडीसी से मिली वित्तीय सहायता से राशन की दुकान खोली। आज उनकी दुकान समुदाय के लिए लाइफ लाईन बन गई है। वह रोजाना रु 700 से रु 800 तक कमा लेते हैं और क्षेत्र के लोगों की जरूरतों को भी पूरा करते हैं।
आर्थिक तौर पर मजबूत बना रही है योजना : अपनी लॉचिंग के बाद से ये योजना 40 से अधिक लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बना चुकी है। फंड मैकेनिज्म पर आधारित यह प्रोग्राम सुनिश्चित करता है कि भावी उद्यमियों को जरूरी सहयोग एवं संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। जिला प्रशासन ने भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों और जनपद पंचायत के सीईओ के नेतृत्व में एक पारदर्शी मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया है, जो सुनिश्चित करता है कि प्रोग्राम के फायदे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचें।
स्थायी विकास और आत्मनिर्भर बनाने का मिशन : एनएमडीसी के लिए यह पहल एक सीएसआर गतिविधि से कहीं बढक़र है। यह पिछड़े इलाके के स्थायी विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का मिशन है। एनएमडीसी स्वरोजगार योजना इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे इस तरह के प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए यह प्रोग्राम आज ग्रामीण भारत के लिए उम्मीद की किरण बन गयी है।
छत्तीसगढ़ में एनएमडीसी के कई सेवा प्रकल्प : एनएमडीसी अपने सीएसआर प्रयासों के जरिये दूरदराज के ग्रामीणों के जीवन में हर स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाया है। ‘बालिका शिक्षा योजना’ हर साल 40 आदिवासी बालिकाओं को मुफ्त नर्सिंग प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर हेल्थकेयर में करियर बनाने में मदद करती है। इसी तरह ‘आस्था गुरूकुल प्रोग्राम’ जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उनके अकादमिक विकास एवं आजीविका अर्जन में योगदान देता है। ‘सक्षम पहल’ दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है, ताकि वे गरिमा के साथ जीवन जी सकें। ये सभी प्रयास समाज के प्रति उत्तरदायित्व एवं समाज कल्याण के लिए एनएमडीसी की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

 



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