बिजऩेस रेमेडीज/जयपुर JECRC University में आयोजित एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (एएसआई003) सिंपोजियम के दूसरे दिन बी.टेक, बीसीए, बी.कॉम, बीएससी एवं विभिन्न स्कूलों के 150 से अधिक विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी के साथ जनसंपर्क कार्यक्रम ‘सभी के लिए खगोलगोश’ में पार्टिसिपेट किया। कार्यक्रम में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष विज्ञान, एस्ट्रोनॉमी और भारत के अंतरिक्ष मिशनों से जुड़े करियर ऑप्शन पर नई जानकारियाँ साझा की। नासा (अमेरिका) के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, डॉ. नचिमुथुक गोपालस्वामी ने सूर्य के मानव जीवन पर प्रभाव और एआई/एमएल की भूमिका पर प्रकाश डाला। अनुपम भारद्वाज (इंटर यूनिवर्सिटी सैंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स) ने यूनिवर्सिटी के छात्रों को खगोल विज्ञान से जुडऩे के अवसर बताए।
संतोष वडवड़े ने चंद्रयान–1, 2 और 3 की उपलब्धियों व चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की और भारत के आगामी मिशनों का परिचय कराया। प्रो. तीर्था प्रतिम दास (एसपीओ, इसरो हैडक्वाटर) ने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान एवं खगोलशास्त्र में करियर बनाने के मार्ग बताए। डॉ. मोहम्मद हसन (इसरो हैडक्वाटर) ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए इसरो व अन्य संस्थानों में उपलब्ध अवसरों की जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने सोलर वायु, सूर्य की कोरोनल गतिविधियों और सोलर फ्लेयर्स पर नए सर्च प्रस्तुत किए। अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी की एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी स्टडी से सूर्य के कोरोना, चमकीले क्षेत्रों और कोरोनल होल्स की नई जानकारियाँ मिलीं। विशेष सत्र में अरुण कुमार अवस्थी (पॉलिश एकेडमी ऑफ़ साइंस) ने बताया कि सोलर फ्लेयर्स मैग्नेटिक फील्ड के रिकॉबिनेशन, कणों की गति और प्लाज़्मा के गर्म होने से उत्पन्न होती हैं। सर्च से यह भी ज्ञात हुआ कि छोटे-छोटे माइक्रो/नैनो फ्लेयर्स भी सूर्य की ऊष्मा में योगदान देते हैं और कभी-कभी सामान्य क्षेत्रों से बाहर भी पाए जाते हैं।
