- महाराष्ट्र के धूले में स्थापित हो रहे नए प्लांट में हुआ ट्रायल प्रोडक्शन, उत्पादन क्षमता हुई दोगुनी
- मध्यप्रदेश के धार में स्थापित हो रहे तीसरे प्लांट से अगले साल तक क्षमता होगी तीन गुना, राजस्व के तीन गुना होने की संभावना
बिजनेस रेेमडीज/जयपुर। राजकोट आधारित ‘Hi-Green Carbon Limited’ वेस्ट टायर रीसाइकलिंग क्षेत्र में कार्य करने वाली प्रमुख कंपनी है। कंपनी महाराष्ट्र के धूले में 100 मेट्रिक टन प्रतिदिन का बेस्ट टायर रीसाइकलिंग प्लांट स्थापित किया है। नए प्लांट से कंपनी की उत्पादन क्षमता दुगनी हो गई है। हाल ही में कंपनी द्वारा शेयर बाजारों को दी गई जानकारी के अनुसार गांव डोंडाइचा, जिला धुले, महाराष्ट्र में 100 टन प्रति दिन क्षमता के दूसरे संयंत्र की स्थापना और निर्माण पूरा हो गया है। इसका ट्रायल रन शुरू कर दिया गया है। कंपनी ने पहले ही महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को “संचालन की सहमति” के लिए आवेदन कर दिया है। एमपीसीबी से आवश्यक मंजूरी मिलते ही धुले प्लांट का संचालन शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही कंपनी ने सूचित किया है कि कंपनी मध्यप्रदेश के धार में 38,057 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर तीसरा प्लांट स्थापित कर रही है। कंपनी प्रबंधन के अनुसार तीसरे प्लांट से कंपनी की निर्माण क्षमता भी तीन गुना हो जाएगी। 100 मेट्रिक टन प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता के साथ तीसरे प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्लांट के लिए ‘कंसेंट टू एस्टेब्लिश’ सर्टिफिकेट मिल गया है। कंपनी प्रबंधन को उम्मीद है की तीसरा प्लांट अगले वित्त वर्ष में शुरू हो जाएगा और इससे कंपनी का राजस्व भी 3 गुना होने की संभावना है। इसके चलते कंपनी के शेयर में तेजी का माहौल है। इस लेख में हम कंपनी की कारोबारी गतिविधियां, वित्तीय प्रदर्शन, इंडस्ट्री डायनॉमिक्स जैसे विषयों पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रहे हैं।
यह करती है कंपनी
कंपनी का राजकोट, गुजरात में मुख्यालय है । हाई-ग्रीन कार्बन लिमिटेड, राजकोट, गुजरात आधारित राधे ग्रुप एनर्जी का एक हिस्सा है। समूह का मुख्य फोकस कास्टिंग, उपभोक्ता वस्तुओं, कॉर्पोरेट खेती, पैकेजिंग और हर्बल उत्पादों से लेकर विविध संतुलित पोर्टफोलियो के साथ नवीकरणीय ऊर्जा पर है। कंपनी वेस्ट टायरों को 4 प्रमुख उत्पादों में परिवर्तित करती है। (1) रिकवर्ड कार्बन ब्लैक (2) ईंधन तेल (3) सोडियम सिलिकेट ग्लास और (4) स्टील स्क्रैप। कंपनी पेटेंटेड कंटीन्यूअस पायरोलिसिस प्रक्रिया संचालित करती है जो पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) द्वारा नियंत्रित निरंतर फीडिंग और डिस्चार्रि्जंग प्रणाली के साथ निर्बाध कार्य पद्धति है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है और इसमें किसी मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
इसके प्रमुख उत्पाद कच्चे माल श्रेणी के अंतर्गत पुनर्प्राप्त कार्बन ब्लैक (आरसीबी) और स्टील तार, ऊर्जा घटक श्रेणी के अंतर्गत ईंधन तेल और संश्लेषण गैस हैं। ऊर्जा का कुशल तरीके से उपयोग करने के लिए, कंपनी पायरोलिसिस प्रक्रिया के दौरान उत्पादित संश्लेषण गैस को प्लांट्स प्लांट चलाने के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल में लेती है और बची हुई संश्लेषण गैस को सोडियम सिलिकेट के निर्माण के लिए परिवर्तित करती है, जिसे आमतौर पर कच्चे ग्लास के रूप में जाना जाता है। ईंधन तेल सीमेंट कंपनियों व अन्य को बिक्री किया जाता है। जबकि सोडियम सिलिकेट साबुन और लिक्विड डिटर्जेंट का प्रमुख रॉ मैटेरियल है और उन्हें बनाने वाली कंपनियों को सोडियम सिलिकेट बिक्री किया जाता है।
उत्पादन क्षमता और भावी योजना
हाई ग्रीन उत्पादन सुविधा वर्तमान में राजस्थान में स्थित है, जिसमें प्रति दिन 100 मीट्रिक टन टायर रीसाइक्लिंग और प्रति दिन 60 मीट्रिक टन सोडियम सिलिकेट की निर्माण की क्षमता स्थापित है। क्षमता का विस्तार करने और भौगोलिक पहुंच को आगे बढ़ाने के लिए, हाई ग्रीन ने महाराष्ट्र राज्य के धुले जिले में प्रति दिन 100 मीट्रिक टन वेस्ट टायर रीसाइक्लिंग क्षमता का प्लांट स्थापित किया है। नई विनिर्माण सुविधा में निर्मित किए जाने वाले उत्पाद कंपनी मौजूदा विनिर्माण सुविधा के समान ही हैं। अनुमानित परियोजना लागत 49.11 करोड़ रुपये है जिससे कंपनी को 50-70 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है। भविष्य में, कंपनी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक संयंत्र लगाने की इच्छुक है क्योंकि वेस्ट टायर के सुरक्षित निपटान को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादकों के लिए विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) के अनुसार अपशिष्ट टायरों की सोर्सिंग अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा, हाई ग्रीन बेकार टायरों से सक्रिय कार्बन ब्लैक विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास कर रहा है जो वर्तमान में उत्पादित कार्बन ब्लैक की तुलना में 4 गुना महंगा है।
इंडस्ट्री डायनामिक्स
बढ़ती बिक्री और ऑटोमोबाइल उद्योग द्वारा दर्ज की गई साल-दर-साल वृद्धि को देखते हुए भारत के रबर और टायर रीसाइक्लिंग उद्योग का आकार दस गुना बढ़ सकता है। वर्तमान में, रबर और टायर रीसाइक्लिंग उद्योग का आकार लगभग 3500 करोड़ रुपये है। घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग के बढ़ते आकार और उसी अवधि में रीसाइक्लिंग उद्योग में मूल्य-संवर्धन को देखते हुए भारतीय टायर और रबर रीसाइक्लिंग उद्योग में अगले पांच से दस वर्षों में 35000 करोड़ रुपये तक बढऩे की क्षमता है। एमआरएआई की रिपोर्ट के अनुसार टायर रीसाइक्लिंग के वर्तमान परिदृश्य में, पायरोलिसिस और डेवल्केनाइजेशन जैसी नई तकनीक ने टायरों को उनकी भारी मात्रा और लचीलेपन के बावजूद रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त लक्ष्य बना दिया है। ईंधन के रूप में उपयोग के अलावा, टायरों का मुख्य उपयोग ग्राउंड रबर ही रहता है। हर साल 1.6 बिलियन से अधिक नए टायर उत्पन्न होते हैं और लगभग 1 बिलियन बेकार टायर उत्पन्न होते हैं। हालाँकि, रीसाइक्लिंग उद्योग हर साल केवल 100 मिलियन टायर संसाधित करता है।
सीमित प्राकृतिक संसाधनों की खपत को कम करने और सीओटू उत्सर्जन को कम करने के लिए रीसाइकिल्ड सामग्री की बढ़ती लोकप्रियता ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दे रही है। स्क्रैप टायरों का पुनर्चक्रण पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एक आदर्श समाधान बन रहा है। उक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि टायर रीसाइकलिंग एक आवश्यकता है और यह स्थिति वेस्ट टायर रीसाइकलिंग इंडस्ट्री के लिए आदर्श है। लंबे समय में इस स्थिति का फायदा ‘हाई-ग्रीन कार्बन लिमिटेड’ को भी मिलेगा।
वित्तीय स्थिति
कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 71.86 फीसदी है। जबकि विदेशी निवेशकों की साझेदारी 4.48 फीसदी दर्ज की गई है। कंपनी पिछले 3 वर्षों में 33.85 फीसदी का स्वस्थ आरओई बनाए हुए है। इसके अलावा कंपनी पिछले 3 वर्षों से 26.18 फीसदी का स्वस्थ आरओसीई बनाए हुए है। कंपनी का ब्याज कवरेज अनुपात 14.47 है। कंपनी का पीईजी अनुपात 0.32 है। कंपनी के पास 39.70 दिनों का कुशल नकद रूपांतरण चक्र ((cash conversion cycle) है। कंपनी ने पिछले 5 वर्षों में 52.2 फीसदी सीएजीआर की अच्छी लाभ वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी ने 70.60 करोड़ रुपए का राजस्व और 10.27 करोड़ रुपए का कर पश्चात शुद्ध लाभ अर्जित किया है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का कर पश्चात शुद्ध लाभ मार्जिन 14.54 फीसदी दर्ज किया गया है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी ने 4.66 रुपए का ईपीएस अर्जित किया है। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी के रिजर्व गत वर्ष के 5 करोड़ के मुकाबले बढक़र 51 करोड़ रुपए के हो गए हैं। पिछले 1 वर्ष में कंपनी में निवेशकों का पैसा करीब तीन गुना हो चुका है।
कंपनी का शेयर 93 रुपए के स्तर से 295 रुपए के स्तर को छू चुका है।
गौरतलब है कि कंपनी महाराष्ट्र के धूले में 100 मेट्रिक टन प्रतिदिन का बेस्ट टायर रीसाइकलिंग प्लांट स्थापित किया है। नए प्लांट से कंपनी की उत्पादन क्षमता दुगनी हो गई है, जिससे वित्त वर्ष 2025 में कंपनी के राजस्व और लाभ में उल्लेखनीय इजाफा देखने को मिल सकता है। कंपनी प्रबंधन के अनुसार तीसरे प्लांट से कंपनी की निर्माण क्षमता भी तीन गुना हो जाएगी। 100 मेट्रिक टन प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता के साथ तीसरे प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्लांट के लिए ‘कंसेंट टू ऑपरेट’ सर्टिफिकेट मिल गया है। कंपनी प्रबंधन को उम्मीद है की तीसरा प्लांट अगले वित्त वर्ष में शुरू हो जाएगा और इससे कंपनी का राजस्व भी 3 गुना होने की संभावना है।
गुणवत्ता पर फोकस
हाई-ग्रीन कार्बन को आईएसओ 14001:2015 , पर्यावरण प्रबंधन उपायों, आईएसओ 45001:2018, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधन मानकों, आईएसओ 9001:2015, गुणवत्ता प्रबंधन मानकों, अच्छे विनिर्माण अभ्यास (जीएमपी) और आरओएचएस के साथ प्रमाणित किया गया है। कंपनी के उत्पाद स्थिरता मानकों के मामले में आरईएसीएच के अनुरूप हैं।
नोट: कंपनी के शेयर में निवेश करने से पूर्व निवेशक पंजीकृत निवेश सलाहकारों की सलाह लें और यह लेख निवेश सलाह नहीं है।