GST reforms से राज्य के स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों (Discoms) को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में डिस्कॉम द्वारा लागू की गई 1.9% टैरिफ वृद्धि उनके कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन GST सुधारों से उन्हें राहत जरूर मिलेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑल-इंडिया एवरेज कॉस्ट ऑफ सप्लाई और एवरेज रेवेन्यू रियलाइज्ड के बीच अंतर 46 पैसे प्रति यूनिट है। इस अंतर को पाटने के लिए 4.5% टैरिफ वृद्धि और एटीएंडसी (Aggregate Technical & Commercial) घाटे में कमी जरूरी है।
ICRA ने बताया कि नियामक परिसंपत्तियां (Regulatory Assets) 3 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। कोयले पर GST दर को 5% से बढ़ाकर 18% करने और 400 रुपए प्रति टन के क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) को हटाने से coal-based power producers की उत्पादन लागत में कमी आएगी। अनुमान है कि इससे डिस्कॉम की आपूर्ति लागत में लगभग 12 पैसे प्रति यूनिट की बचत होगी, क्योंकि भारत में कुल उत्पादन का 70% से अधिक हिस्सा कोयला आधारित है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य बिजली नियामक आयोगों (SERCs) को निर्देश दिया है कि वे पुराने Regulatory Assets को चार वर्षों के भीतर समाप्त करें और नए Regulatory Assets का निर्माण वार्षिक राजस्व आवश्यकता के 3% तक सीमित रखें। इसके लिए टैरिफ में वृद्धि और कुल एटीएंडसी घाटे को 15% से कम करना आवश्यक है।
ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीशकुमार कदम ने कहा कि Fuel & Power Purchase Adjustment Surcharge (FPPAS) का कार्यान्वयन विभिन्न राज्यों में असंगत है, जिससे बढ़ती लागत का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पा रहा है। Apellate Tribunal for Electricity (APTEL) को कोर्ट आदेश के अनुपालन की निगरानी का दायित्व सौंपा गया है।
