बिजऩेस रेमेडीज/मुंबई
ट्रांसयूनियन सिबिल ने भारत में स्व-निगरानी1 करने वाले उपभोक्ताओं के क्रेडिट व्यवहार के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए अपनी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, ‘वित्तीय स्वतंत्रता का सशक्तिकरण: भारत में क्रेडिट स्व-निगरानी का उदय’ जारी की है। इससे संकेत मिलता है कि मार्च 2024 तक लगभग 119 मिलियन भारतीयों ने अपने सिबिल स्कोर की निगरानी की है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि क्रेडिट प्रोफाइल की निगरानी करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में वित्त वर्ष 23-24 में साल-दर-साल आधार पर 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे पता चलता है कि अपेक्षाकृत 43.6 मिलियन अधिक उपभोक्ता अपनी क्रेडिट स्थिति जानने के प्रति सजग हुए। रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि 81 प्रतिशत उपभोक्ता जिन्होंने अपना पहला के्रडिट उत्पाद लेने के छह महीने के भीतर अपने के्रडिट स्कोर की स्वयं निगरानी शुरू कर दी, वे गैर-मेट्रो क्षेत्रों से हैं।
ट्रांसयूनियन सिबिल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी, राजेश कुमार ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर अपनी टिप्पणी में कहा कि इस रिपोर्ट में सामने आए क्रेडिट प्रबंधन के बारे में उपभोक्ता के बीच बेहतर जागरूकता के साथ भारत की वृद्धि की संभावना (ग्रोथ स्टोरी) को मजबूत आधार मिलता है, जिससे उपभोक्ताओं द्वारा अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की स्व- निगरानी करने और इसे देखकर सिबिल स्कोर में सुधार करने के रुझान में उल्लेखनीय वृद्धि जाहिर होती है। उपभोक्ता जागरूकता में यह वृद्धि, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और गैर-शहरी उपभोक्ताओं के बीच, वहनीय क्रेडिट वृद्धि और बढ़ते वित्तीय समावेश का आशाजनक संकेतक है। यह अगले कुछ वर्षों में हमारे देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अच्छा संकेत है।इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 23-24 के दौरान अपने सिबिल स्कोर को ट्रैक करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी में 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। यह इस बात का संकेत है कि महिलाएं न केवल क्रेडिट प्रबंधन को बेहतर ढंग से समझ रही हैं, बल्कि वे क्रेडिट के प्रति अधिक जागरूक भी हो रही हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में लोग ऋण के प्रति जागरूक होकर ऋण वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं : रिपोर्ट से पता चलता है कि अपने ऋण की निगरानी करने वाले भारतीयों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई, खासकर गैर-मेट्रो इलाकों में, जहां वित्त वर्ष 23-24 के दौरान स्व-निगरानी उपभोक्ताओं की संख्या में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मेट्रो इलाकों में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 23-24 में 4.72 मिलियन नए क्षेत्रीय स्व-निगरानी उपभोक्ता थे, जो बढ़ती ऋण जागरूकता की प्रेरक शक्ति रहे। सबसे ज़्यादा क्रेडिट-मॉनीटरिंग आबादी वाले शीर्ष 15 राज्यों में केरल (112 प्रतिशत) शामिल रहा। तमिलनाडु (76 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (62 प्रतिशत) ने वित्त वर्ष 23-24 में वित्त वर्ष 22-23 की तुलना में स्व-निगरानी वाले उपभोक्ताओं में सबसे ज़्यादा साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की। हालांकि, स्व-निगरानी वाले उपभोक्ताओं की संख्या में कुल हिस्सेदारी के लिहाज से महाराष्ट्र (14 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (11 प्रतिशत) और तमिलनाडु (8 प्रतिशत) राज्य सूची में सबसे ऊपर हैं।
ट्रांसयूनियन सिबिल में वरिष्ठ निदेशक तथा कंज्यूमर इंटरैक्टिव (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) इंडिया के प्रमुख, भूषण पडकिल ने कहा कि यह रिपोर्ट इस तथ्य को सामने लाती है कि भारत तेज़ी से वित्तीय रूप से समझदार और के्रडिट के प्रति जागरूक होता जा रहा है। कई क्रेडिट संस्थान उच्च सिबिल स्कोर वाले उधारकर्ताओं के लिए बेहतर नियम और शर्तें पेश करते हैं, इसलिए उपभोक्ताओं के लिए बेहतर शर्तों पर वित्तीय अवसरों का लाभ उठाने के लिए स्वस्थ क्रेडिट प्रोफाइल की निगरानी करना और उसे बनाए रखना फायदेमंद है।
गैर-मेट्रो क्षेत्रों में क्रेडिट की स्व-निगरानी करने वाले उपभोक्ताओं में 57 प्रतिशत की वृद्धि
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