Thursday, December 11, 2025 |
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भारत की अमेरिका के साथ रक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी व व्यापार में बढ़ेगी साझेदारी

by Business Remedies
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punit jain

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों अमेरिका के राट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत कर रक्षा,ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और व्यापार सहित विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई है। उन्होंने आपसी हितों के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए। इस बार भी पीएम मोदी और ट्रंप के बीच केमिस्ट्री देखने को मिली। दोनों ने एक-दूसरे को फ्रेंड कहकर पुकारा। इसके अलावा मोदी ने अप्रैल में क्वॉड समिट के लिए ट्रंप को भारत आने का न्यौता भी दिया है। अमेरिका की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड सहित प्रमुख अमेरिकी अधिकारियों से भी मुलाकात की। उन्होंने स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क, जो नवगठित सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) का नेतृत्व करते हैं और भारतीय-अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी सहित प्रमुख व्यापारिक नेताओं के साथ भी बातचीत की। भारत और अमेरिका के बीच कुछ बातों पर सहमति भी बनी और कुछ बातों पर ट्रंप अडिग रहे। बातचीत में जिन पर सहमति बनी उनमें अमेरिका भारत को एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान बेचेगा। बातचीत में ट्रम्प ने भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान बेचने की पेशकश की थी, जबकि उन्होंने और मोदी ने व्यापार को बढ़ाने की कसम खाई, जिससे एक ऐसा बंधन फिर से प्रज्वलित हुआ जो दुनिया के अधिकांश हिस्सों के लिए नए अमेरिकी प्रशासन के दंडात्मक दृष्टिकोण को चुनौती देता है। लगातार अमेरिकी प्रशासनों ने भारत को उभरते चीन के सामने समान विचारधारा वाले हितों वाले एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखा है। ट्रम्प ने बातचीत में यह भी कहा कि इस वर्ष से हम भारत को सैन्य बिक्री में कई अरब डॉलर की वृद्धि करेंगे। यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस वर्ष अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी के लिए एक नए दस वर्षीय ढांचे पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। अमेरिका अंतर-संचालन और रक्षा औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत के साथ रक्षा बिक्री और सह-उत्पादन का भी विस्तार करेगा। रक्षा व्यापार, प्रौद्योगिकी विनिमय और रखरखाव, अतिरिक्त आपूर्ति और अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली रक्षा प्रणालियों की देश में मरम्मत और ओवरहाल को सुव्यवस्थित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय शस्त्र विनियमन (आईटीएआर) की भी समीक्षा की जाएगी।



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