चीन की अर्थव्यवस्था इस समय संकट के दौर से गुजर रही है और चीनी सरकार पर भारी दबाव है कि वो अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए ज़रूरी कदम उठाए। वैसे तो दुनिया की अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यह विश्व व्यापार और शेयर बाजार पूंजीकरण का लगभग 10फीसदी, सकल घरेलू उत्पाद (बाजार विनिमय दरों पर) का लगभग 18फीसदी, विश्व तेल मांग का लगभग 16 फीसदी और विश्व व्यापक मुद्रा का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है। इन दिनों चीन में महंगाई ने एक बार फिर लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है। लोगों का हवाई सफर से लेकर फिल्मों की टिकट और यहां तक कि छोटी-मोटी चीजों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। खाने-पीने की चीजों पर भी महंगाई का असर दिख रहा है। वहीं अब ट्रम्प प्रशासन की व्यापार नीतियों का चीन के क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। टैरिफ लागू होने से पहले ऑर्डरों की अग्रिम लोडिंग के कारण चीनी उत्पादन में थोड़ी निकट अवधि की वृद्धि होगी। हालांकि दीर्घकालिक प्रभाव चीनी औद्योगिक गतिविधि पर अत्यधिक नकारात्मक होगा। प्रतिकूल जनसांख्यिकीय रुझान का अर्थ है कि चीन की दीर्घकालिक विकास गति को बनाए रखने का एकमात्र विकल्प उत्पादकता वृद्धि में तेज़ी लाना होगा। जनरेटिव एआई का समय पर उभरना इस अंतर को आंशिक रूप से पाट सकता है। इन दिनों चीन में कई चीजों के दाम बढ़ गए हैं। हवाई टिकट की कीमत में 8.9 फीसदी की तेजी आई है। वहीं फिल्मों की टिकट 11 फीसदी, घरेलू सेवाओं की कीमतों में 6.9 फीसदी और छोटी-मोटी चीजों की कीमतों में 5.8 फीसदी की तेजी आई है। वहीं जनवरी में खाद्य पदार्थों की कीमतें पिछले वर्ष जनवरी के मुकाबले 0.4 फीसदी बढ़ी हैं। ताजी सब्जियों की कीमतों में 2.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। वैसे आर्थिक वृद्धि को समझाने या मॉडल बनाने के कई तरीके हैं, लेकिन एक आम दृष्टिकोण है, जो बताता है कि पूंजी और श्रम जैसे उत्पादक कारक कैसे मिलकर उत्पादन उत्पन्न करते हैं और जो विश्लेषणात्मक सरलता और एक अच्छी तरह से विकसित पद्धति प्रदान करता है।
