रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों के साथ रूसी क्रूड ऑयल ले जाने वाले 183 जहाजों पर अमेरिकी प्रतिबंध के चलते भारत में क्रूड सप्लाई को लेकर चिंता बढ़ गई है, लेकिन वैश्विक तनाव और अमेरिका सहित दूसरे उत्पादक देशों की ओर से ओवरसप्लाई की स्थिति को देखते हुए भारत के लिए चुनौती बहुत बढऩे का रिस्क नहीं है। ओवरसप्लाई के चलते क्रूड का वैश्विक भाव काफी नीचे आ सकता है, जो अभी 80 डॉलर से ऊपर चल रहा है। भारत के लिए यह अच्छी स्थिति होगी क्योंकि इसे अपनी जरूरत का करीब 88 फीसदी क्रूड इंपोर्ट करना पड़ता है। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को धक्का पहुंचाने के लिए पिछले दिनों रूसी कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इनमें से अधिकतर टैंकरों से रूस से भारत और चीन को क्रूड भेजा जा रहा था। अमेरिका के ताजा प्रतिबंधों के बाद पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के अधिकारी का भी कहना कि अभी दो महीनों तक कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि काफी तेल पहले ही लोड हो चुका है। इस बीच भारत आने वाले तेल को लेकर नई व्यवस्थाएं सामने आ सकती हैं। रूस भी कोई तरीका निकालेगा। इस बीच, यूएस एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने अनुमान जारी किया है कि वर्ष, 2025 में क्रूड ऑयल का औसत भाव 74 डॉलर प्रति बैरल और वर्ष,2026 में 66 डॉलर तक जा सकता है। उसने कहा है कि वर्ष, 2025 में दुनिया में तेल का उत्पादन 10.44 करोड़ बैरल प्रतिदिन पहुंच सकता है, लेकिन डिमांड 10.41 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक ही रह सकती है। ओपीईसी देशों की ओर से सप्लाई कट घटाने और अमेरिका सहित नॉन-ओपेक देशों में प्रोडक्शन बढऩे से सप्लाई और बढ़ेगी। इसके चलते आने वाले वर्षों में कीमत पर दबाव आएगा।
