चीन, भारत को पीछे धकेलने के लिए कुछ ना कुछ हथकंडे अपनाता रहता है। उसका प्रयास होता है कि भारत आगे नहीं बढ़ पाए। हाल ही में चीन, भारत को बड़े खतरे की तरह देखने लगा है। चीन अब भारत में आईफोन बनाने वाली फैक्ट्रियों को रोकने की कोशिश में जुट गया है। फॉक्सकॉन एपल के लिए आईफोन बनाती है। वह भारत में अपने कारखानों में चीनी कर्मचारियों को भेजना बंद कर रही है। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और भारत के रिश्ते अच्छे नहीं हैं। चीन भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग के दबदबे के लिए संभावित प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है। भारत में फोन बनाने के लिए जरूरी मशीनें भी चीन से नहीं भेजी जा रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चीन की सरकार इसमें शामिल है। इससे एपल की भारत में आईफोन बनाने की योजनाओं पर असर पड़ सकता है। एपल अपने आईफोन के उत्पादन को चीन से बाहर दूसरे देशों में फैलाना चाहती है। इसकी एक बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव है। इसके अलावा, चीन की जीरो-कोविड पॉलिसी के कारण भी एपल को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसीलिए एपल ने अपने कुछ सबसे एडवांस आईफोन मॉडल का उत्पादन भारत में शुरू किया। इसका मकसद दशकों से चीन पर अपनी निर्भरता कम करना था। चीन एपल के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार भी है।
चीन और पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढऩे के कारण कई वैश्विक कंपनियां जो लंबे समय से चीन पर निर्भर थीं, अब अपना उत्पादन दक्षिण एशिया या दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में ट्रांसफर कर रही हैं। चीन की सख्त महामारी नियंत्रण नीतियों ने इस ट्रेंड को और तेज कर दिया है। चीन और भारत के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। सीमा विवाद और सैन्य गतिरोध इन तनावों के प्रमुख कारण हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक प्रतिद्वंद्विता भी है। कई कंपनियां अब भारत को चीन के विकल्प के रूप में देखती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया पहल के जरिए भारत अपनी जटिल विनिर्माण क्षमता को बढ़ा रहा है। लेकिन अभी भी भारत का चीन के साथ व्यापार घटा है। चीन, भारत में विनिर्माण के इस बदलाव से चिंतित हो सकता है। चीन भारत को भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदी और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देखता है।
