बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा आज हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इसे विजयादशमी भी कहा जाता है, मुख्य रूप से यह भगवान राम द्वारा रावण वध और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की घटनाओं से जुड़ा है। यह त्योंहार हमें सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। दशहरा का इतिहास पौराणिक कथाओं पर आधारित है, जिसमें 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के बाद 10वें दिन यानी दशमी को यह उत्सव मनाया जाता है। यह आत्मा की शुद्धि, नकारात्मकता को दूर करने और नई शुरुआत करने का एक महत्वपूर्ण समय है। हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण के अनुसार भगवान राम ने 14 वर्षों के वनवास के बाद रावण का वध किया था। यह वध 9 दिनों तक चले नवरात्रि के बाद 10वें दिन विजयादशमी को हुआ। यह विजय सीता माता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार मां दुर्गा ने 9 दिनों तक राक्षस महिषासुर से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध कर संसार को अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाकर बुराई के अंत का प्रतीक रूप में मनाया जाता है। वहीं विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने भी इसी दिन अपने शस्त्र लेकर विजय प्राप्त की थी।
