Tuesday, January 14, 2025 |
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Amity University में Indian Knowledge System पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

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बिजऩेस रेमेडीज/जयपुर
Amity University राजस्थान ने भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर), नई दिल्ली के सहयोग से ‘वर्तमान संदर्भ में भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्रासंगिकता और दर्शनशास्त्र का योगदान’ विषय पर दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय दार्शनिक परंपराओं की समृद्ध परंपरा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में उनकी समकालीन प्रासंगिकता का पता लगाना था।
Amity University राजस्थान के वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) अमित जैन ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन पर टीम की प्रशंसा करते हुए भारतीय ज्ञान की परंपरा को भाषा के माध्यम से जोडऩे की आवश्यकता पर जोर दिया। सेमीनार के शुरुआती संबोधन में एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) जी.के. आसेरी ने आगतुंकों का स्वागत किया। एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड एलाइड साइंसेज (एआईबीएएस) के हैड प्रोफेसर (डॉ.) मणि सचदेव ने “भारतीय ज्ञान प्रणालियों के परिदृश्य की खोज” विषय पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया।
मुख्य अतिथि फ़िलॉसफ़ी और रिलीजन के प्रोफेसर डॉ. सच्चिदानंद मिश्रा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि अद्वैत वेदांत और न्याय जैसे प्राचीन भारतीय ढांचे शासन, विज्ञान और नैतिकता में दुविधाओं को हल करने में कैसे योगदान दे सकते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ. एम. एल. स्वर्णकार, संस्थापक और एमेरिटस चेयरपर्सन महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमजीयूएमएसटी) के वरिष्ठ प्रोफेसर, प्रसूति एवं स्त्री रोग, प्रजनन चिकित्सा और आईवीएफ के विशेषज्ञ, एमजीयूएमएसटी ने चिकित्सा विज्ञान में गीता श्लोक के साथ शुरूआत करते हुए भारतीय दर्शन में स्थायी योगदान और समकालीन चिकित्सा परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया।
पहले दिन दो एकेडमिक सेशन भी आयोजित किए गए, जिसकी अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्रोफेसर डॉ. पी. एन. मिश्रा, बेंगलुरु के टीए पाई मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीरा बैंदूर और मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के दर्शनशास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. नमिता निंबालकर ने की। सेशन में भारतीय ज्ञान प्रणाली की ऐतिहासिक ज?ों और विकास पर चर्चा करते हुए समग्र और इंटरडिसिप्लिनरी प्रकृति पर जोर दिया गया। पहले दिन का समापन भारतगाथा के साथ हुआ जिसमें संगीत, नृत्य और कहानी सुनाने के माध्यम से भारत की समृद्ध विरासत के बारे में बताया गया। भारत की दार्शनिक परंपराओं और उनके स्थायी प्रभाव का रचनात्मक और भावनात्मक चित्रण किया।



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