बिजऩेस रेमेडीज/हरिद्वार | प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परंपरा के आधुनिक शिक्षा में समावेशन के उद्देश्य से गठित भारत सरकार द्वारा स्थापित एवं पतंजलि योगपीठ द्वारा प्रायोजित नवीन राष्ट्रीय विद्यालय बोर्ड, भारतीय शिक्षा बोर्ड (क्चस्क्च) द्वारा हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित परिवर्तनकारी दो दिवसीय शैक्षणिक संगोष्ठी, ‘विद्यालयी शिक्षा में परिवर्तन: नवीन भारत निर्माण हेतु भारतीय मूल्यों का समावेशन’ का समापन किया गया। 14 और 15 दिसंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि को सुसंगत बनाने और पाठ्यक्रम में आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों के समावेशन हेतु अभिनव तरीकों पर संवाद करने के लिए अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
संगोष्ठी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल, ईशा योग फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन शैक्षिक और शोध संस्थान, अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन, चिन्ना जीयर स्वामी संगठन, स्वामीनारायण गुरुकुल संस्थान, विवेकानंद केंद्र, श्री अरबिंदो सोसाइटी, भिक्खु संघ सेना, जैन एजुकेशन ट्रस्ट, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा भविष्योंन्मुखी शैक्षणिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी समग्र शिक्षा, अनुभवात्मक शिक्षा और पारंपरिक भारतीय ज्ञान को समकालीन शैक्षणिक तकनीकों में एकीकृत करने हेतु विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच था।
संगोष्ठी का उद्घाटन परमपूज्य स्वामी रामदेव ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को युवा पीढ़ी में भारतीय मूल्यों और दृष्टिकोणों के समावेशन के साथ उन्हें वैश्विक नेतृत्व में बदलने हेतु स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के नवीन आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभागियों ने संगोष्ठी के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए नवीन भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्मित समकालीन शिक्षा में बदलाव की महत्ता को स्वीकार किया। उन्होंने रोचक और विचारशील प्रस्तुतियों के माध्यम से विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी में संवाद के मुख्य तत्व थे- भारतीय शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र को भारतीय संवेदनाओं और मूल्यों के साथ पुन: निर्मित करना ताकि व्यावहारिक विज्ञान और कला शिक्षा के माध्यम से जिज्ञासा को बढ़ावा दिया जा सके; नवीन, अनुभवात्मक शिक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना, समग्र विकास, गहन शिक्षक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से जमीनी स्तर पर शिक्षकों के साथ जुड़ाव, प्रौद्योगिकी और कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना, छात्रों और शिक्षकों के सामाजिक और भावनात्मक विकास को मजबूत करना और बच्चों की शैक्षणिक यात्रा में माता-पिता एवं समाज की भागीदारी को बढ़ाना। एक सत्र में आचार्य बालकृष्ण ने प्रतिभागियों को उनके विद्यालय प्रणाली में सांस्कृतिक लोकाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए बधाई दी।
उन्होंने भाग लेने वाले संगठनों को बीएसबी के युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संवेदनाओं में निहित करने के लक्ष्य में सह-यात्री बनने के लिए भी आमंत्रित किया। कार्यक्रम के समापन पर बोलते हुए, भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. एन पी सिंह ने कहा कि ‘यह संगोष्ठी हमारे पारंपरिक ज्ञान और मानव मन के विकास की वैज्ञानिक समझ के साथ समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।’ उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए समर्पित हैं, जो न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता, बल्कि समग्र मानव विकास का पोषण करता है। भविष्य की ओर देखते हुए, बीएसबी नवीन शैक्षणिक पद्धतियों को आगे बढ़ाने, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार करने और शिक्षा के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सांस्कृतिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक, दोनों का सम्मान करता है। कार्यक्रम को भारतीय मूल्यों, रचनात्मकता और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षा के भविष्य को नया आकार देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।