बिजऩेस रेमेडीज/बैंगलोर दुनिया जब ‘विश्व वन दिवस’ और ‘विश्व जल दिवस’ मना रही है, Toyota Kirloskar Motor (TKM) पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। यह वैश्विक Toyota एनवायमेंटल चैलेंज 2050 (टीईसी 2050) को मूर्त रूप देती है। इसमें ‘शून्य पर्यावरणीय प्रभाव से आगे बढऩा और शुद्ध सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करना’ जैसी छह दूरदर्शी चुनौतियां शामिल हैं। इनमें पानी के उपयोग को न्यूनतम और इष्टतम करना तथा प्रकृति के साथ सद्भाव में भविष्य के समाज की स्थापना भी की जानी है।
टोयोटा एनवायमेंटल चैलेंज 2050 की स्थापना 2015 में हुई थी। तबसे टोयोटा एनवायमेंटल चैलेंज कंपनी की निरंतर जारी रहने वाली पहल का मार्गदर्शन करना जारी रखती है। इससे पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में सकारात्मक योगदान संभव हो पाता है, इसके लिए कार्बन उत्सर्जन, संसाधनों की कमी, पानी की कमी और इसकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में जैव विविधता के नुकसान जैसी चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। टीकेएम की प्रतिबद्धता के केंद्र में ‘ग्रह के प्रति सम्मान’ का गहन दर्शन निहित है, जो पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय समुदायों को समृद्ध करते हुए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के कंपनी के प्रयासों को प्रेरित करता है।
इस दिशा में, पानी को एक अमूल्य और साझा संसाधन के रूप में पहचानते हुए, Toyota Kirloskar Motor अपने प्लांट में पानी के उपयोग को अनुकूलित और सर्वश्रेष्ठ करने के लिए एक समग्र ‘4आर’ रणनीति का पालन करता है। ये हैं रिड्यूस – कम करें, री यूज – पुन: उपयोग करें, रीसाइकिल – रीसाइकिल करें और रीचार्ज करें। उत्पादन के लिए टीकेएम की पानी की कुल आवश्यकता का 89.3 प्रतिशत हिस्सा रीसाइकिल किए गए पानी और वर्षा जल संचयन के माध्यम से पूरा किया जाता है। 51,000 क्यूबिक (घन) मीटर की भंडारण क्षमता वाले वर्षा जल संचयन तालाबों और 18 भूजल पुनर्भरण गड्ढों के साथ, टीकेएम अपने परिसर में सालाना भूजल स्तर को लगातार बढ़ाता है। एक अत्याधुनिक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र एमबीआर और आरओ जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग करके 60 प्रतिशत तक अपशिष्ट जल को रीसाइकिल करता है। इसका उपयोग फिर औद्योगिक और बागवानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इसके अलावा, भूजल स्तर की निगरानी से स्पष्ट लाभ दिखाई देते हैं: प्री-मानसून (मई-जून 2022) का स्तर 25.8 फीट था, जो मानसून के बाद (नवंबर-दिसंबर) 16.1 फीट तक उल्लेखनीय रूप से सुधर गया।
